Durga Puja 2021: सरायकेला राजवाड़े की दुर्गा पूजा है कई मायने में खास, 16 दिनों तक होती है आराधना, देखें Pics

सरायकेला राजवाड़े में सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी उत्साह के साथ राज परिवार के सदस्य निभा रहे हैं. यहां 16 दिनों तक मां की आराधना होती है. मंदिर परिसर में अखंड ज्योत भी चलती है. राज परिवार में इस पूजा का खास मायने है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2021 9:33 PM
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Durga Puja 2021 (शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला) : सरायकेला के राजवाड़े की दुर्गा पूजा कई मायनों में खास है. सरायकेला के राजवाड़े में 16 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करने की परंपरा है. राजवाड़े स्थित पाउड़ी मंदिर में मां दुर्गा की पूजा जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक होती है. इस दौरान 16 दिनों तक माता के मंदिर में अखंड ज्योत जलती रहती है. 29 सितंबर की रात जिउतिया पर शुरू हुई माता की पूजा 13 अक्टूबर को नवरात्र के महाष्टमी के दिन तक संपन्न होगी.

जिउतिया से षष्टी तक यह पूजा मां पाउड़ी मंदिर में होती है. फिर षष्टी के दिन शस्त्र पूजा के बाद बाकी दिनों की पूजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में होती है. षष्टी के दिन राजा तथा राजपरिवार के सदस्य खरकई नदी के तट पर शस्त्र पूजा करते हैं. फिर राजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में जाकर मां दुर्गा का आह्वान कर पूजा करते हैं.

दुर्गा पूजा के दौरान राजवाड़ी के भीतर में नवपत्रिका दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया जाता है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को सरायकेला के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव के साथ- साथ राजपरिवार के सदस्य श्रद्धा, भक्ति व उत्साह के साथ निभाते हैं. इस दौरान पूजा में राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव, रानी अरुणिमा सिंहदेव समेत राजपरिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं.

सरायकेला राजपरिवार की 64 पीढ़ियां निर्वाध रूप से मां दुर्गा की पूजा करती आ रही है. सन 1620 में राजा विक्रम सिंह द्वारा सरायकेला रियासत की स्थापना के बाद से ही राजमहल परिसर में मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत की थी. सरायकेला रियासत के स्थापना से लेकर भारत की आजादी तक सिंह वंश के 61 पीढ़ियों ने राजा के रूप में राजपाट चलाया और माता दुर्गा की पूजा की.

देश की आजादी के बाद सिंह वंशज के 62वें पीढ़ी के राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव व 63वें पीढ़ी के राजा सत्य भानु सिंहदेव ने मां दुर्गा की पूजा को आगे बढ़ाया. वर्तमान में सरायकेला रियासत के राजा व सिंह वंश के 64वें पीढ़ी के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव इस रियासती परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. यहां मां भगवती की पूजा आज भी उसी परंपरा के साथ होते आ रही है, जो कभी राजा-राजवाड़े के समय हुआ करती थी.

शक्ति की देवी व राजघराने की इष्टदेवी मां पाउड़ी का मंदिर राजमहल के भीतर स्थित है. दुर्गा पूजा में नवमी के दिन नुआखाई का आयोजन किया जाता है. दुर्गा पूजा के दौरान नवमी के दिन नुआखाई के बाद राजपरिवार के सदस्य मां पाउड़ी मंदिर में जाते हैं. इस दिन साल के नये फसल से तैयार चावल का भोग देवी को समर्पित की जाती है. इसके बाद राजपरिवार के सदस्य नुआई खाई का प्रसाद सेवन करते हैं. इस मंदिर में स्त्री को केवल साड़ी पहनकर तथा पुरुष को केवल धोती व गमछा पहनकर जाने की परंपरा है.

इस संबंध में सरायकेला राजघराने के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने कहा कि जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक 16 दिनों की यह पूजा राजतंत्र के दौरान विभिन्न राज परिवारों के द्वारा किया जाता था. सरायकेला राजपरिवार आज भी पूरे भक्ति भाव के साथ इस परंपरा को निभा रहा है. दुर्गा पूजा के दौरान सभी आयोजन सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार होती है.

Posted By : Samir Ranjan.

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