यात्रियों को बंपर बचत का लाभ
वर्तमान में, एक निजी वाहन औसतन 70-80 रुपये प्रति ट्रिप टोल शुल्क देता है. अगर वार्षिक पास का पूरा उपयोग किया जाए, तो प्रति ट्रिप लगभग 55-65 रुपये की 80% तक की बचत संभव है. यह उन यात्रियों के लिए बेहद लाभकारी होगा जो अक्सर टोल सड़कों से गुजरते हैं.
टोल ऑपरेटरों को होगा राजस्व नुकसान
हालांकि, यह नई योजना निजी टोल ऑपरेटरों के राजस्व पर 4-8% तक असर डाल सकती है. क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, वर्तमान में कुल टोल ट्रैफिक का 35-40% निजी वाहनों का होता है, जो राजस्व के लिहाज से 25-30% योगदान देता है. यदि इनका एक-तिहाई हिस्सा वार्षिक पास खरीदता है, तो टोल कलेक्शन में जोरदार गिरावट हो सकती है.
समय पर मुआवजा तंत्र आवश्यक
क्रिसिल का मानना है कि इस संभावित राजस्व हानि की भरपाई के लिए समय पर और स्पष्ट मुआवजा ढांचे को अंतिम रूप देना आवश्यक होगा. यदि इसमें देरी होती है, तो इससे टोल ऑपरेटरों की नकदी प्रवाह और कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. हालांकि, वर्तमान में क्रेडिट जोखिम प्रोफाइल स्थिर है, क्योंकि अधिकांश टोल प्रोजेक्ट्स के पास पर्याप्त नकदी रिजर्व है.
एनएचएआई की भूमिका और ट्रैक रिकॉर्ड
क्रिसिल रेटिंग्स की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुआवजा भुगतान की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की होगी. एन्युटी मॉडल परियोजनाओं में एनएचएआई का भुगतान ट्रैक रिकॉर्ड अब तक सकारात्मक रहा है, जो प्रतिपक्ष जोखिम को सीमित करता है.
क्या बढ़ती लोकप्रियता बढ़ा सकती है चिंता?
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वार्षिक पास को अपेक्षा से अधिक अपनाया जाता है, तो इससे अंतरिम राजस्व नुकसान ज्यादा हो सकता है. इसलिए इस पर लगातार निगरानी रखना जरूरी होगा. क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर मुआवजा छह महीने देर से मिलता है, तब भी डीएससीआर (डेब्ट सर्विस कवेरज रेशियो) पर सीमित असर पड़ेगा.
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संतुलित लाभ और जोखिम
फास्टैग वार्षिक पास एक ओर जहां यात्रियों को बड़ा आर्थिक लाभ देगा, वहीं दूसरी ओर यह टोल ऑपरेटरों के लिए आर्थिक और परिचालनिक चुनौती बन सकता है. इस बदलाव की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि मुआवजा प्रक्रिया कितनी शीघ्रता और स्पष्टता से लागू की जाती है.
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