गिरिडीह के पचंबा सार्वजनिक दुर्गा स्थान में 142 साल से हो रही पूजा, जानें क्या है खास

पचंबा का सार्वजनिक दुर्गा स्थान काफी ऐतिहासिक है. टिकैत शासन से ही यहां शारदीय नवरात्र का आयोजन हो रहा है. वर्ष 1880 में टिकैत स्व सिद्धनाथ ने मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी. टिकैत की तबीयत खराब होने के बाद वर्ष 1955 में इस मंडप को सार्वजनिक घोषित किया गया.

By Rahul Kumar | September 26, 2022 10:54 AM
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मृणाल कुमार, गिरिडीह

Giridih News: पचंबा का सार्वजनिक दुर्गा स्थान काफी ऐतिहासिक है. टिकैत शासन से ही यहां शारदीय नवरात्र का आयोजन हो रहा है. वर्ष 1880 में टिकैत स्व. सिद्धनाथ ने मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी. टिकैत की तबीयत खराब होने के बाद वर्ष 1955 में इस मंडप को सार्वजनिक घोषित किया गया. इसके बाद गिरिडीह के प्रथम सांसद नागेश्वर प्रसाद सिन्हा को पूजा समिति का अध्यक्ष बनाया गया. पिछले 142 वर्षो से अधिक से यहां मां दुर्गा की पूजा की जा रही है. मंडप में सैकड़ों गांव के लोग यहां पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. पूर्व में यह मंडप काफी छोटा साथा. समय के साथ मंडप का जीर्णोद्धार होता रहा और आज यह मंडप काफी विशाल हो गया है. मंदिर की भव्यता और मंदिर में की गयी साज-सज्जा देखने लायक रहती है. स्थानीय श्रद्धालुओं का यह मानना है कि जो भी व्यक्ति यहां मां की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है.

10 दिनों तक मंडप मे उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

पूजा समिति के सचिव दीपक साह ने बताया कि 1955 के बाद इस मंडप का जीर्णाद्धार शुरू हुआ. इसके बाद मंडप में प्रतिवर्ष कुछ न कुछ काम होते रहता है. उन्होंने बताया कि इस मंडप में पूजा-अर्चना करने से लोगों की सारी बाधा दूर होती है. महाअष्टमी के दिन यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और दीप जलाते हैं. इससे मंडप की शोभा काफी बढ़ जाती है. पूजा कराने के लिए यहां पर एक दर्जन पंडित आते हैं.

विजयादशमी के दिन होती है प्रतिमा विसर्जित

बताया कि प्रत्येक वर्ष मां की प्रतिमा का विसर्जन विजयादशमी के दिन ही किया जाता है. सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मां की प्रतिमा को कंधे पर उठाकर भ्रमण करते हुए पचंबा स्थित बुढ़वा आहर पहुंचे हैं और प्रतिमा का विसर्जित करते हैं. इसमें कई गांव के श्रद्धालु शामिल होते हैं.

मनोकामना सिद्ध स्थल है यह मंडप

मंडप के पुजारी रामदेव पांडेय ने बताया कि जो भी श्रद्धालु यहां दस दिनों तक मां की पूजा आस्था और विश्वास के साथ करते हैं, मां उनकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं. उन्होंने बताया कि मंडप में राजश्री पूजा होती है. नवमी के दिन यहां पर सैकड़ों श्रद्धालु बलि देने पहुंचते हैं.

अष्टमी-नवमी में होगा भक्ति जागरण का आयोजन

बताया गया कि इस बार महाअष्टमी और नवमी को भक्ति जागरण का आयोजन किया जायेगा. पूजा समिति के सचिव दीपह साह ने बताया कि महाअष्टमी के दिन भजन गायिका कुमकुम बिहारी और नवमी को प्रिया मलिक भजनो प्रस्तुति करेंगे. इसकी तैयारी जोरों पर है.

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