Happy Eid- Ul-Fitr 2021: कोरोना संक्रमण और मिनी लॉकडाउन का ईद पर दिखा असर, घर में पढ़ी गयी नमाज, हाथ और गले मिलने से किया परहेज, देखें Pics

Happy Eid- Ul-Fitr 2021, Jharkhand News (चक्रधरपुर, पश्चिमी सिंहभूम) : शुक्रवार (14 मई, 2021) को मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार ईद उल फितर मनाया गया. कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन होने से मुस्लिम समुदाय ने ईद की नमाज घर में ही अदा किये. गुरुवार को पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर थाना में मुस्लिम प्रतिनिधियों एवं प्रबुद्ध लोगों की बैठक में तय किया गया था कि मस्जिद में अधिकतम 5 लोग ही नमाज अदा करेंगे. शेष लोग अपने-अपने घरों में नमाज पढ़ेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2021 7:20 PM
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Happy Eid- Ul-Fitr 2021, Jharkhand News (चक्रधरपुर, पश्चिमी सिंहभूम) : शुक्रवार (14 मई, 2021) को मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार ईद उल फितर मनाया गया. कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन होने से मुस्लिम समुदाय ने ईद की नमाज घर में ही अदा किये. गुरुवार को पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर थाना में मुस्लिम प्रतिनिधियों एवं प्रबुद्ध लोगों की बैठक में तय किया गया था कि मस्जिद में अधिकतम 5 लोग ही नमाज अदा करेंगे. शेष लोग अपने-अपने घरों में नमाज पढ़ेंगे.

इसी के तहत चक्रधरपुर के कुल 15 मस्जिद एवं नमाजगाहों में 5-5 लोग ही ईद की नमाज अदा किए. इनमें मस्जिद संचालन कमेटी के सदस्य और मस्जिद के पेश इमाम शामिल थे. शेष लोगों ने अपने-अपने घरों में रहकर परिवार के सदस्यों के साथ ईद की नमाज अदा किये. ईद की नमाज वाजिब है जिसमें 6 अतिरिक्त बोले जाते हैं और अलग से खुत्बा भी पढ़ा जाता है.

रोज पढ़ी जाने वाली नमाजों से ईद की नमाज अलग होने के कारण लोगों को घर में अदा करने में थोड़ी परेशानी भी आयी, लेकिन परिवार के सदस्यों ने मिलकर नमाज अदा किये. जिस घर में पुरुषों की संख्या कम थी, वहां पर महिलाओं ने भी जमाअत से नमाज अदा की. ईद की नमाज में खुत्बा सुनना शर्त है, इसलिए लोग व्हाट्सएप में या फिर प्रिंट आउट निकाल कर खुतबा की प्रतियां साथ रखे थे. ईद की नमाज से पहले फजर की नमाज पढ़ी गयी. उसके बाद ईद की विशेष तकबीर लोगों ने पढ़ा. ईद की नमाज पढ़ने के बाद हर कोई दुआ किये.

कोरोना संक्रमण काल में सोशल डिस्टैंसिंग बनाने का निर्देश है. इस निर्देश का पालन करते हुए मस्जिद अथवा घर में नमाज पढ़ने वाले लोगों ने एक-दूसरे से गले नहीं मिले और ना ही हाथ मिलाकर मुसाफा किया. ईद की नमाज के बाद गले मिलने की परंपरा है और हाथ मिलाने का रिवाज है. इससे दिलों का मैल खत्म होता है, लेकिन सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने के कारण इस वर्ष गले नहीं मिले और ना ही मुसाफा किया गया. बस लोगों ने एक-दूसरे को सलाम किया और ईद की मुबारकबाद दिये.

यह तीसरा मौका था जब ईद की नमाज लॉकडाउन के कारण घरों में अदा की गयी. अप्रैल 2020 में पहली बार ईद की नमाज घर में पढ़ी गयी थी. उसके बाद जून 2020 में ईद उल जुहा की नमाज घर में अदा की गयी और अब तीसरी बार ईद उल फितर की नमाज घरों में अदा किये गये. सामूहिक नमाज नहीं होने के कारण ईद की रौनक कम हो गयी है. ईद में जो भाईचारगी, प्रेम, स्नेह और मिलन का वातावरण होता था, वह अब देखने को नहीं मिल रहा है. ईद मिलन का आयोजन करना या एक-दूसरे के घर जाकर लच्छा और सेवइयों का सेवन करना इस बार बिल्कुल नहीं हो पाया.

सभी 15 मस्जिदों और नमाजगाहों में तथा घरों में अदा की गयी नमाज के बाद लोगों ने विभिन्न प्रकार की दुआएं किये. मस्जिदों से पहले ही यह ऐलान किया जा चुका था कि रमजान और ईद के अवसर पर कोरोना संक्रमण के खात्मा की दुआ अल्लाह से की जाये. इसलिए ईद की नमाज के बाद हर नमाजी अल्लाह से यह मांगा कि भारत से कोविड-19 का प्रकोप जल्द से जल्द खत्म हो जाये और भारत पहले जैसा खुशनुमा और खुशगवार माहौल में लौट आये. महिलाएं और बच्चों ने भी नमाज पढ़ने के बाद ऐसी ही दुआएं की.

चक्रधरपुर में ईद की नमाज घरों में पढ़ने के बाद लोग कब्रिस्तान में जाकर विशेष दुआएं मांगे. हदीस में है कि ईद के दिन ईद की नमाज पढ़ने के बाद कब्रिस्तान जाकर अपने घरों के मुर्दों के हक में दुआ की जानी चाहिए. इसके लिए एक विशेष वजीफा भी बताया गया है. सुब्हान अल्लाहे व बह्मदेहि का वजीफा 300 बार पढ़ कर कब्रिस्तान में मुसलमानों ने अपने घर के मुर्दों के लिए दुआएं की. ईद के दिन मुर्दों की बड़ी संख्या में बख्शीश करता है. इसलिए लोग कब्रिस्तान जाकर अल्लाह से अपने घर के मुर्दों के हक में दुआएं किये और उन्हें जन्नत में जगह मिलने की दुआ अल्लाह से की गयी.

ईद की नमाज से पहले दान देने का हुक्म है. फितरा भी ईद की नमाज से पहले अदा किया जाता है, लेकिन ईद की नमाज मस्जिदों और ईदगाह में नहीं पढ़े जाने के कारण इस वर्ष फकीरों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ा है. लोग घरों पर ईद की नमाज अदा किये. फकीर भी अपने घरों पर ही रह गये. वह किसी मस्जिद या ईदगाह के बाहर बैठ नहीं पाये.

कोरोना संक्रमण के कारण फकीर अब घर-घर भी घूमना कम कर दिये हैं. ईद की नमाज से पहले फकीरों की अच्छी खासी-आमदनी हो जाया करती थी क्योंकि ईद की नमाज से पहले दान देने का हुक्म है. लेकिन, इस वर्ष ऐसा नहीं हो सका. कब्रिस्तान के बाहर भी फकीर नहीं पहुंचे थे. जिस कारण उन्हें दान की राशि नहीं दी जा सकी. कोरोना संक्रमण के काल में फकीरों पर आफत आयी है. इसलिए अब उनकी खबरगिरी घर-घर जाकर किये जाने की जरूरत है.

Posted By : Samir Ranjan.

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