Home Badi Khabar IIT Kanpur ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए शुरू की स्मार्ट क्लास, पढ़ाई का नया अंदाज जीवन में लाएगा बदलाव

IIT Kanpur ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए शुरू की स्मार्ट क्लास, पढ़ाई का नया अंदाज जीवन में लाएगा बदलाव

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IIT Kanpur ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए शुरू की स्मार्ट क्लास, पढ़ाई का नया अंदाज जीवन में लाएगा बदलाव

Kanpur News: आईआईटी कानपुर ने अपने रंजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र के जरिए गांवों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए ऑनलाइन रूरल एजुकेशन इनिशिएटिव (ओआरईआई) शुरू की है. इसका उद्घाटन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने किया. कार्यक्रम के तहत जल्द ही 100 ग्रामीण स्कूलों और बाद में राज्य के सभी स्कूलों के छात्रों को इसका लाभ मिलेगा. मुख्य सचिव ने बताया कि जल्द ही प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों में भी स्मार्ट क्लास शुरू करने की तैयारी की जा रही है.

आने वाले समय में बढ़ेंगी कक्षाएं

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि रंजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र एक इन-हाउस प्रोजेक्ट है, जो आस-पास के गांवों तक पहुंचने और ग्रामीण युवाओं की रोजगार क्षमता में इजाफा करने के लिए स्थापित किया गया है. ओआरईआई का उद्देश्य नवाचार और प्रौद्योगिकी की मदद से ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है. यह पहल भारत सरकार के उन्नत भारत अभियान के तहत शुरू हुई थी.

स्मार्ट क्लास में आधुनिक अंदाज में पढ़ रहे छात्र

पायलट कार्यक्रम दो स्कूलों राम जानकी इंटर कॉलेज, बिठूर और भारतीय ग्रामीण विद्यालय मोहना, लखनऊ में शुरू किया गया था. एक वर्ष की अवधि के बाद सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा परियोजना को हाथ में लिया गया. ओआरईआई के तहत आईआईटी कानपुर में एक स्मार्ट कक्षा से शिक्षण कार्य किया जाता है, जहां बच्चों और आईआईटी कानपुर में शिक्षकों के बीच आधुनिक तकनीक दो तरफा संचार को सक्षम बनाती है.

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11वीं और 12वीं के छात्रों को भी भविष्य में मिलेगा लाभ

उन्नत तकनीक की मदद से दोनों पक्ष वास्तविक समय में एक-दूसरे को देख और बात कर सकते हैं और शिक्षक यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कक्षाएं इंटरैक्टिव प्रकृति की हों. वर्तमान में ओआरईआई दो दैनिक कक्षाओं के माध्यम से नौवीं और दसवीं कक्षा में छात्रों के लिए शिक्षा प्रदान करता है.आने वाले वर्ष में 11वीं और 12वीं के लिए कक्षाएं जोड़ी जाएंगी.

पीएचडी स्कॉलर्स चला रहे परियोजना

आरएसके के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. संदीप संगल ने बताया कि परियोजना स्वैच्छिक आधार पर बड़ी संख्या में पीएचडी स्कॉलर्स द्वारा चलाई जाती है, जो विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में शिक्षण में लगे हुए हैं. पूरे शैक्षणिक वर्ष की योजना बनाने का काम शुरुआत में ही कर लिया गया है. परियोजना बाल केंद्रित है और सीखने के उद्देश्यों, उपकरणों, तकनीकों की सामग्री और आकलन के आधार पर बैकवर्ड प्लानिंग डिजाइन की अनुमति देती है. इसका उद्देश्य सीखने को मजेदार और संवादात्मक बनाने के लिए सक्रिय शिक्षण विधियों को प्रोत्साहित करना है.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी

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