नागरिकों तक विभिन्न सेवाएं सुगमता से पहुंचाने में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आर्थिक समीक्षा के अनुसार, आधार संख्या की व्यवस्था से पहले हर 25 नागरिकों में से केवल एक के पास औपचारिक पहचान का प्रमाण होता था और हर चार में से एक नागरिक का ही बैंक में खाता होता था. आज स्थिति पूरी तरह बदल गयी है. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, जिसे ‘इंडिया स्टैक’ के नाम से भी जाना जाता है, के तीन स्तर हैं- पहचान (आधार), भुगतान (यूपीआइ, आधार भुगतान पुल, आधारित से जुड़ी भुगतान सेवा) और डाटा (खाताओं का संग्रहण). ये तीनों परतें परस्पर संबद्ध हैं. समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि जब कोरोना महामारी के दौर में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह बाधित हुई थीम, तब सरकार डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की क्षमता के उपयोग से तुरंत उपाय करने में जुट गयी थी. आज हम ठेले-खोमचे से लेकर बड़े बड़े मॉल तक में यूपीआइ के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं. ऑनलाइन लेन-देन कुछ सेकेंड में पूरा हो जाता है. वित्त वर्ष 2017 में 0.07 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था. मौजूदा वित्त वर्ष के पहले नौ महीने (अप्रैल-दिसंबर 2023) में यह आंकड़ा 143.4 लाख करोड़ रुपये हो गया. कुछ साल पहले तक ग्राहक की पहचान की पुष्टि करने की प्रक्रिया में समय भी लगता था और उसमें बहुत खर्च भी होता था.
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