वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में श्वेत पत्र के माध्यम से यूपीए सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल की नाकामियों और मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों को आम जनता के समक्ष रखा. पत्र में कहा गया है कि 2014 से पहले देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, जिससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सरकार को बहुत ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी. वर्ष 1991 से आर्थिक सुधार का शुभारंभ हुआ था और विदेश व्यापार, कर सुधार, विदेशी निवेश आदि क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने के अनेक उपाय किये गये. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद मिली. वर्ष 2013 में वर्तमान मूल्य पर भारत की जीडीपी 1.8 ट्रिलियन डॉलर और 2007 में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर की थी. जो 2014 में दो ट्रिलियन डॉलर और 2019 में तीन ट्रिलियन डॉलर की हो गयी. आज रियल जीडीपी के हिसाब से भी भारतीय अर्थव्यवस्था तीन ट्रिलियन डॉलर की हो गयी है. वर्ष 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2019 में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, भारत की जीडीपी वर्तमान मूल्य पर अभी 3.73 ट्रिलियन डॉलर की है, जबकि भारत जब स्वतंत्र हुआ था, तब उसकी जीडीपी 227 बिलियन डॉलर की थी. अमेरिका की जीडीपी अभी वर्तमान मूल्य पर 26.9 ट्रिलियन डॉलर की है और यह दुनिया में पहले स्थान पर है. वहीं, वर्तमान मूल्य पर 17.8 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ चीन दूसरे, 4.4 ट्रिलियन डॉलर के साथ जर्मनी तीसरे और 4.2 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ जापान चौथे स्थान पर है. मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद बैंकिंग और आर्थिक क्षेत्र में कई सुधार किये. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का शुभारंभ, बैंकों का आपस में विलय, प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, पीएम-स्वनिधि योजना, अटल पेंशन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (आईबीसी) आदि का आगाज. ‘द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू’ रिपोर्ट में मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों के सफर को आर्थिक सुधारों के संदर्भ में बहुत अहम बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में नॉमिनल जीडीपी के सात प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी के 7.3 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने का अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट में यह संभावना भी जतायी गयी है कि भारत की जीडीपी 2030 तक सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है.
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