अब अस्पताल किसी मरीज को उसकी या उसके परिजन की सहमति के बिना गहन चिकित्सा इकाई यानी इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में भर्ती नहीं कर सकेंगे. उल्लेखनीय है कि आइसीयू किसी अस्पताल का वह वार्ड होता है, जहां गंभीर रूप से बीमार, ऑपरेशन के बाद निगरानी की जरूरत वाले तथा बड़े आघात वाले रोगियों को रखा जाता है, जिन्हें 24 घंटे निरीक्षण और उपचार की आवश्यकता होती है. भारत में पहली बार आइसीयू भर्ती को लेकर सरकार ने निर्देश जारी किया है. निर्देश में कहा गया है कि जब किसी रोगी के अंग काम नहीं कर रहे हों या उसकी तबियत बिगड़ने का अंदेशा हो, तभी आइसीयू में उसे रखने का निर्णय लिया जाना चाहिए. इसके अलावा, आइसीयू में बिस्तरों की उपलब्धता और मरीजों की स्थिति के आधार पर तैयार प्राथमिकता को भी ध्यान में रखने को कहा गया है. इन निर्देशों में आइसीयू से बीमार को छुट्टी देने के लिए भी मानदंडों का निर्धारण किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के ये निर्देश 24 प्रतिष्ठित चिकित्सकों द्वारा तैयार किया है. भर्ती और छुट्टी के इन स्पष्ट निर्देशों से चिकित्सकों और मरीज के परिजनों के बीच भरोसा बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है. निर्देश में डॉक्टरों को सलाह दी गयी है कि जोखिम और फायदे के आकलन के बाद ही वे मरीज को आइसीयू में भर्ती करें और स्थिति में अपेक्षित सुधार के बाद सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दें.
संबंधित खबर
और खबरें