राजनीति बांटती है, संस्कृति लोगों को आपस में जोड़ती है : सांसद
सांसद सुनील सिंह ने कहा कि मां भद्रकाली मंदिर परिसर व इटखोरी प्राचीन भारत के प्रमुख सम्प्रदायों का इतिहास संजोए है. यहां शैव, शक्त, वैष्णव, गणपत्य, बौद्ध व जैन धर्म का संगम है. कोरोना काल के बाद महोत्सव को पुराना वैभव मिल रहा है. इटखोरी महोत्सव से चतरा की अलग छवि बनाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि राजनीति लोगों को बांटती है, लेकिन संस्कृति लोगों को आपस में जोड़ती है. इटखोरी व कौलेशरी मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. इटखोरी, कौलेश्वरी, चुंदरु धाम, बबलबल व अन्य ऐतिहासिक स्थलों को आपस में जोड़कर सर्किट का निर्माण कराया जा सकता है. इन्हें पर्यटन का साधन बनाया जा सकता है. महोत्सव चतरा की नयी छवि गढ़ रहा है. इटखोरी का महोत्सव निश्चित रूप से सफल होगा. मां भद्रकाली का वैभव वापस लौटेगा.
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सामूहिक प्रयास से सफल होगा आयोजन : विधायक
विधायक किशुन दास ने कहा कि सामूहिक प्रयास से महोत्सव सफल होगा. उन्होंने कहा कि महोत्सव के आगाज में जिस अनुरूप भीड़ जुटनी थी, वैसा नहीं हुआ. उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर खाली पड़ी कुर्सियों को देख चिंता जतायी. साथ ही कहा कि सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है. मिलजुलकर प्रयास करने से इटखोरी महोत्सव का पुराना वैभव लौट आयेगा. उन्होंने कहा कि सफल आयोजन में जिला प्रशासन द्वारा रुचि नहीं ली जा रही है.
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प्राकृतिक व धार्मिक दृष्टिकोण से चतरा प्रसिद्ध जिला है : डीसी
डीसी अब्बू इमरान ने जिलेवासियों को महोत्सव की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कला संस्कृति मंत्री हफीजुल हसन का संदेश मंच पर पढ़कर सुनाया. विषय प्रवेश कराते उन्होंने कहा कि महोत्सव भव्य रूप में मनाया जा रहा है. इटखोरी का मां भद्रकली तीन धर्मों का संगम है. मां भद्रकाली काफी पवित्र स्थल है. यहां की प्रतिमांए गौरवशाली अतिति की साक्ष्य हैं. इतिहास के पन्नों में भद्रकाली स्थल का उल्लेख मिलता है. जिला प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये कटिबद्ध है. यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. जिले के सभी पर्यटन स्थलों के विकास के लिये योजनाएं बनायी जा रही हैं. इटखोरी महोत्सव आने वाले समय में और भव्य होगा. चतरा की भूमि मनोरम है. यहां के धार्मिक स्थल प्राकृतिक दृष्टिकोण से सुंदर व प्रसिद्ध हैं.