फाल्गुनी मरीक कुशवाहा. लोक में सदाशिव की उपासना का महत्व वर्तमान काल में अत्यधिक विस्तार हुआ है. इसका नजारा पावन सावन मास में शिवालयों में परिलक्षित होता है. देश के विभिन्न जगहों पर शिव की पूजा अर्चना वैसे तो बारहों महीने होती है, लेकिन सावन में जालभिषेक करना एवं मन्नत मांगना खास महत्व रखता है. कोई भी भक्त अपनी आस्था को सावन में रोक नहीं पाते हैं और कांधे पर कांवर लेकर संकट से संघर्ष करते अपनी मंजिल तक पहुंचने के बाद ही दम लेते हैं. देवघर के बाबाधाम भी दूर-दूर से कांवरिया पहुंचते हैं. आखिर हम क्यों सदाशिव की उपासना विशेष तौर पर करते हैं और उपासना का क्या महत्व है, यह गंभीर विषय है. इसकी व्याख्या करना आम नागरिकों के वश की बात नहीं है. ऋषि मुनियों व साधकों ने अपनी कठोर तप से जो ज्ञान पाया है, उसी का वर्णन पौराणिक ग्रंथों में व्याप्त है. सदाशिव का अर्थ है-नित्यं मंगलमय अर्थात् त्रिकाल मंगल. उपासना का अर्थ है- संबंध बनाये रखना. पौराणिक ग्रंथों की माने तो – ज्ञान ही मानव के मोक्ष का साधन है.
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