सावन की एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल के समय भगवान श्री कृष्ण ने खुद इस दिन व्रत करने के महत्व के बारे में युधिष्ठिर से कहा है. भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सावन के महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी देवता, गन्धर्वों और नागों की पूजा हो जाती है. इस पूजा को भगवान विष्णु की सबसे बड़ी पूजा भी माना जाता है. इसलिए हर किसी को कामिका एकादशी की पूजा करने की सलाह दी जाती है. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के आराध्य भगवान शिव हैं और भगवान शिव के आराध्य भगवान विष्णु हैं. ऐसे में सावन के महीने में एकादशी का आना एक विशेष संयोग है. इस व्रत करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि ये व्रत लोक और परलोक दोनों में श्रेष्ठ फल देने वाला है.
कामिका एकादशी शुभ मुहूर्त और पारण का समय
कामिका एकादशी रविवार 24 जुलाई 2022 को
एकादशी तिथि शुरू – 23 जुलाई 2022 को सुबह 11:27 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 24 जुलाई 2022 को दोपहर 01:45 बजे
25 जुलाई को पारण का समय – 05:38 सुबह से 08:22 सुबह
पारण दिवस पर द्वादशी समाप्ति क्षण – 04:15 अपराह्न
कामिका एकादशी पूजा विधि
कामिका एकादशी व्रत दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है. कामिका एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर विष्णु जी का ध्यान करना चाहिए. आप व्रत का संकल्प लें और पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें. विष्णु जी को पूजा में फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें. इसके बाद रोली-अक्षत से उनका तिलक करें और उन्हें फूल चढ़ाएं. एकादशी पर निर्जल रहने का भी प्रावधान है. इसके अलावा, इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अति उत्तम माना जाता है. कामिका एकादशी के दिन तुलसी पत्ते का प्रयोग भी बेहद लाभकारी माना जाता है.
पाठ करने के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
पाठ शुरू करने से पहले और बाद में भगवान विष्णु का ध्यान करें. विष्णु का ध्यान के दौरान इस मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का जाप करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर या पीली चादर ओढ़कर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. भोग में गुड़ और चने या पीली मिठाई का प्रयोग करें.
– “शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥”