माइक्रोबायोलॉजी विभाग में दो कोविड लैब चल रही है. इनमें 22 कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर थे. शासन ने इन्हें हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं. लैब में अब 15 कर्मचारी हैं, जिन पर कोरोना के सैम्पलों की जांच की जिम्मेदारी है. मेडिकल कॉलेज में अभी तक मण्डल के जिलों के अलावा लखनऊ मंडल के उन्नाव, प्रयागराज मंडल के फतेहपुर और कौशाम्बी आदि जिलों की जांच हो रही थी. क्षमता रोजाना 10 हजार आरटी-पीसीआर की थी, जो अब ढाई हजार के आंकड़े पर आ गई है. इससे अधिक सैंपल लिए गए तो पेंडेंसी बढ़ती जाएगी.
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बहुत दिनों तक रखे रहने पर सैंपल खराब भी हो जाते हैं. वहीं, रिपोर्ट देर से आने पर रोगी का इलाज प्रभावित होता है. कोरोना की दूसरी लहर में पहुंचे सैंपल की रिपोर्ट रोगियों के मरने के बाद आई थी. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर संजय काला का कहना है कि कितना स्टाफ है. उसमें नगर की भी जांच हो पाएंगी.
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ओमिक्रोन संक्रमण पर कोवाक्सिन हो सकती है कारगर
स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन ओमिक्रोन से बचाव में कारगर साबित हो सकती है. विशेषज्ञों का तर्क है कि कोवैक्सीन कोरोना के तीन वैरिएंट पर आधारित है. भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन को कोरोना वायरस में तैयार किया गया है. विभिन कोविड वैरिएंट में होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए उससे बनी एंटीबॉडीस असरदार साबित होगी.
(रिपोर्ट- आयुष तिवारी, कानपुर)