काशीपुराधिपति के धाम में देवाधिदेव महादेव के मंदिर कार्यालय में कार्यरत कर्मियों को राज्यकर्मियों का दर्जा दिया जाएगा. कर्मचारियों के लिए तैयार किए गए सेवा नियमावली में मंदिर के अर्चकों को भी उसी श्रेणी में रखा गया है. अपर मुख्य कार्यपालक की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने इस प्रस्ताव को तैयार किया है, जिसे वाराणसी कमिश्नर कौशलराज शर्मा ने हरी झंडी दे दी है. अब उसे स्वीकृति के लिए अगले हफ्ते न्यास बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा. वाराणसी कमिश्नर ने कहा कि सेवा नियमावली में सभी श्रेणी के कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा गया है. मंदिर के जिम्मेदारों के मुताबिक सेवा नियमावली में कार्यालय कर्मचारियों को राज्यकर्मियों का दर्जा दिया जाएगा. अर्चकों को भी उसी ग्रेड में रखने का प्रस्ताव है. नई नियमावली में नए पद भी बनाए गए हैं, जिनकी नियुक्ति के अलग-अलग मानक होंगे. पूजा संवर्ग के लिए चार श्रेणियां प्रस्तावित हैं. जिसमें पूजक, वरिष्ठ अर्चक, मुख्य अर्चक और मानित अर्चक शामिल हैं. बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम-1983 13 अक्टूबर 1983 को लागू हुआ था. उसके अतंर्गत विश्वनाथ मंदिर न्यास संचालित हो रहा है. न्यास गठन के बाद से अब तक कर्मचारियों की सेवा नियमावली नहीं बनी थी. वर्ष 2021 में मंदिर का कर्मचारी अरुण मिश्र हाईकोर्ट पहुंचा तो मंदिर न्यास को नियमावली बना कर उसे लागू करने का आदेश दिया गया. मई 2022 में विश्वनाथ मंदिर न्यास की 102वीं बैठक में कर्मचारी सेवा नियमावली बनाने का प्रस्ताव आया.
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