Astrology: कुंडली से समझिए जिंदगी के राज? जानें आपके भाग्य में संतान योग है या नहीं

Janam Kundali: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके भविष्य, वर्तमान और भूतकाल के बारे में जानकारी देती है. कुंडली में 12 घर या 12 भाव होते हैं. कुंडली के इन 12 भावों से जिंदगी के राज खुलते हैं. इन्हीं को देखकर ज्योतिषाचार्य व्यक्ति के जीवन से जुड़ी भविष्यवाणी करते हैं.

By Radheshyam Kushwaha | January 20, 2024 4:45 PM
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ज्योतिषाचार्य ने बताया कि लग्‍नेश, पंचमेश और नवमेश तीनों ग्रह शुभ ग्रहों से युत होकर 6, 8 और 12वें भाव में गए हों तो विलंब से संतान होती है. दशम भाव में सभी शुभ ग्रह और पंचम भाव में सभी पाप ग्रह हों तो संतान विलंब से हो पाती है.

एकादश भाव में राहु विराजमान है तो वृद्धावस्‍था में पुत्र होने का योग बनता है. यदि किसी महिला के हाथ में चंद्र पाप ग्रह से युक्‍त अथवा दृष्‍ट हो और सूर्य को शनि देखता हो तो लगभग 45 साल की उम्र में उस महिला को संतान की प्राप्ति हो सकती है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली के पंचम भाव का स्‍वामी शुक्र के साथ हो तो 30 साल के बाद की उम्र में पुत्र होता है. वहीं पंचमेश और बृहस्‍पति 1-4-7-10 स्‍थानों में हो तो 36 वर्ष की आयु में संतान की प्राप्ति होती है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जब कुंडली के नवम भाव में बृहस्‍पति हो और बृहस्‍पति से नवम भाव में शुक्र लग्‍नेश से युत हो तो 40 साल की उम्र में महिला को संतान सुख की प्राप्ति का योग रहता है.

कुंडली में जब संतान प्राप्ति कारक ग्रह बृहस्पति की दशा आती है अथवा कुंडली के पंचम भाव के स्वामी की दशा प्राप्त होती है या उन ग्रहों की दशा प्राप्त होती है, जो पंचम भाव से संबंध बना रहे हों और शुभ ग्रह हों तो जातक को संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं.

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