अब तक पकड़ में नहीं आया तेंदुआ
दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी शशि कुमार ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी सह मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक, रांची को इसको लेकर पत्र लिखा है. पत्र में श्री कुमार ने कहा है कि लोगों को मारनेवाला तेंदुआ व्यस्क है. उसे केज, जाल आदि लगाने एवं कैमरा ट्रैप एवं ड्रोन का इस्तेमाल करने के बाद भी पकड़ने में सफलता नहीं मिल पा रही है. इसलिए वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा दो (वन) ए के तहत उसे मारने की अनुमति दी जाए.
तेंदुआ ने तीन बच्चे समेत मवेशी को मारा
मालूम हो कि 13 दिसंबर से लगातार आदमखोर तेंदुआ जिले के भंडरिया, रंका, चिनियां, रमकंडा आदि प्रखंड में आतंक मचाये हुए है. उसने अब तक तीन बच्चों की हत्या की है. इसमें रोदो, सेवाडीह एवं कुसवार गांव में एक-एक बच्चे को उसने अपना शिकार बनाया है. इसके अलावा मदगड़ी के लोहरगुड़वा में एक भैंस को भी उसने मारा था. कई पशुओं को वह जख्मी भी कर चुका है. वन विभाग का कहना है कि तेंदुआ व्यस्क है और अकेला है.
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चार-चार लाख का मुआवजा दिया गया
इधर, गुरुवार को वन प्रमंडल पदाधिकारी दक्षिणी शशि कुमार ने पूर्व में रोदो एवं सेवाडीह में तेंदुआ द्वारा मारे गये दोनों बच्चों के परिजनों को चेक के माध्यम से चार-चार लाख रुपये का मुआवजा भुगतान किया.
ग्रामीणों ने पांच घंटे तक किया सड़क जाम
दूसरी ओर, बुधवार की रात में तेंदुआ द्वारा 12 वर्षीय बच्चे हरेंद्र घासी को अपना शिकार बनाने के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त हो गया है. ग्रामीणों ने इसको लेकर गुरुवार को रमकंडा-भंडरिया मार्ग को पांच घंटे तक जाम किया. वन क्षेत्र पदाधिकारी गोपाल चंद्रा द्वारा मुआवजा देने एवं शीघ्र तेंदुआ को मरने के आश्वासन के बाद ग्रामीणों का आंदोलन खत्म हुआ.
रिपोर्ट : पीयूष तिवारी, गढ़वा.