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जानकारी के अनुसार, कुर्था निवासी मो हुसैन अंसारी दैनिक मजदूरी करता था. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन कर दिया गया. लॉकडाउन की घोषणा के बाद दैनिक मजदूर मो हुसैन अंसारी के जमा किये हुए पैसे खत्म होने लगे. फिर घर के अनाज धीरे-धीरे खत्म होने लगे. पैसे भी खत्म होने लगे. पैसे की किल्लत होने पर उसके सामने खाने के लाले पड़ गये. अनाज के लिए पैसे की किल्लत होने पर उन्हें जब कोई तरकीब नहीं सूझी, तो घर के सदस्यों के सोनेवाली चौकी को ही 1400 रुपये में बेच कर चावल, दाल समेत अन्य खाद्य सामग्रियों की खरीदारी करनी पड़ी.
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इस बाबत दैनिक मजदूर मोहम्मद हुसैन ने बताया कि हमारे 10 बच्चे हैं. तीन पत्नियां हैं. ऐसे में दैनिक मजदूरी हम लोगों का एकमात्र साधन था. लेकिन, केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन की घोषणा के बाद हमारे परिवार में खाने के लाले पड़ गये. ऐसे में कोई तरकीब न सूची तो हमने अपने घर में परिवार के सोने वाले चौकी को ही बेच कर अपने परिवार का भोजन हेतु चावल दाल समेत विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी की. हालांकि, चौकी बेचे जाने के बाद हम लोग जमीन पर ही कपड़े बिछा कर सोने को मजबूर हैं. इस बाबत पूछे जाने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि यह बात मेरे संज्ञान में नहीं है. हालांकि, हमने प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दे दिया है कि वैसे जो भी गरीब वर्ग के लोग हैं, उनके यहां राशन मुहैया करायी जाये.