इन दिनों बड़कागांव के बाजार में ढेला और रावा गुड़ 40 रुपए प्रति किलो बिक रही है. मकर सक्रांति में क्षेत्र में गुड़ की मांग बढ़ जाती है क्योंकि मकर सक्रांति व टुसू पर्व में लोग पूजा- अर्चना कर चूड़ा- गुड़ का सेवन करते हैं.
ऐसे होता है गुड़ का निर्माण
बड़कागांव प्रखंड के विभिन्न गांवों में गन्ने की खेती की जाती है. मशीन में गन्ने की पेराई के बाद गुड़ का निर्माण यहां होता है. गन्ने के रस निकालने के लिए कोलसार में मशीन लगायी जाती है. बड़े चूल्हे में भाट बनाने के बाद अन्य प्रक्रियाओं से गुजरते हुए यहां ढेला गुड़ का निर्माण होता है.
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कहां- कहां बनता है गुड़
बड़कागांव के हुरलंगबागी, चोरका, पड़रिया, सिंदवारी, सिकरी, महतिकरा, डाड़ी, महटिकरा, केरिगढा, गोंदलपुरा, जोराकाठ, बाबूपारा, राउतपारा, बादम, हरली, नापो, कांडतरी, खैराटी, खैरातरी, पगार, हेठगढ़ा, बरवाडीह, सांड व चुरचू समेत अन्य गांवों में दर्जनों गुड़ बनानेवाली छोटी-छोटी फैक्ट्री है. इन्हीं गांवों में गन्ने का उत्पादन भी होता है.
इन क्षेत्रों में जाता है यहां का बना गुड़
बड़कागांव से विभिन्न शहरों व राज्यों में गुड़ का निर्यात होता है. केरेडारी व बड़कागांव प्रखंड के विभिन्न गांवों से दैनिक बाजार में गुड़ लाया जाता है. यहां के बने गुड़ हजारीबाग, रांची, पटना, जमशेदपुर आदि क्षेत्रों में जाता है.
Posted By : Samir Ranjan.