पर्यावरण परिवार के अध्यक्ष डॉ पतंजलि केसरी ने कहा है कि जिस तरह से गर्मी बढ़ रही है, उससे ज्यादा रफ्तार से वाटर लेवल नीचे जा रहा है. अब वह दिन दूर नहीं जब पानी की वजह से झारखंड में पलायन होगा. इसलिए लोगों को सचेत होने तथा जल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास शुरू करने की आवश्यकता है.
कोरोना काल ने हमें प्रकृति का महत्व समझाया है. जब लोग घरों में कैद हो गये, तो प्रकृति अपने आप शुद्ध हो गयी. उन्होंने कहा कि हम सबको अपने-अपने घरों एवं आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है.
नीरज श्रीधर, प्रांत मंत्री, संस्कार भारती
गढ़वा शहर की लाइफ लाइन दानरो नदी को बचाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है. नगर परिषद की ओर से कचरा डालकर उसे नाले का रूप दे दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस नदी के किनारे पेंड़ लगाकर शहर में प्रकृति को शुद्ध किया जा सकता है.
अब्दुल मन्नान, शिक्षक
हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा के नारे को अमल में लाने की जरूरत है. सभी लोग दूसरे से यह उम्मीद करते हैं कि वह पर्यावरण बचाने का प्रयास करे, लेकिन स्वयं कोई पहल नहीं करना चाहता है. यह स्थिति बदलने की जरूरत है.
अखिलेश कुशवाहा, गढ़वा प्रखंड समन्वयक, गायत्री परिवार
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पर्यावरण दिवस मनाते हुए आधी सदी से ज्यादा का सफर तय कर लिया गया, लेकिन पर्यावरण असंतुलन की समस्या बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि हर गोष्ठी-कार्यक्रम में पर्यावरण असंतुलन पर चर्चा जरूर करें. लोगों को पौधे लगाने एवं वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रेरित करें.
अंजली शास्वत, पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच
सभी को आज यह संकल्प लेने की जरूरत है कि वे बरसात के मौसम में कम से कम एक पौधा जरूर लगायेंगे. उन्होंने प्रभात खबर के इस पहल की प्रशंसा की व कहा कि पर्यावरण जागरूकता के लिए राजनीतिक दलों को विशेष भूमिका अदा करनी चाहिए.
डॉ इस्तेयाक रजा, आजसू
‘प्रभात खबर’ का यह अभियान सफल होगा. लोग अब पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक दिख रहे हैं. पर्यावरण परिवार ने भी लोगों को हजारों पौधा उपलब्ध कराया है. इसमें से यदि आधे भी बचा लिये जायें, तो बदलाव नजर आने लगेगा.