कानपुर शहर में बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोगों को अपने घर को ही ‘पिंजड़ा’ बनाना पड़ गया. नगर निगम और वन विभाग में 20 वर्षों से इस बात को लेकर तकरार होती रही कि बंदरों को आखिर पकड़ेगा कौन. वन विभाग कहता था कि जंगल के बंदर उसके हैं, शहर के नहीं. इस समस्या से निपटने के लिए लोगो ने सोशल मीडिया पर आवारा बंदरों की आतंक से परेशान होकर प्रशासन को पोस्ट करना शुरू किया, जिसके बाद नगर निगम जागा. लेकिन समस्या यह थी बंदर कैसे पकड़े जाएं? कई जतन के बाद भी बंदर जाल में नहीं फंसे. एक-दो पकड़े गए तो उन्हें उनके साथी छुड़ा ले गए. आखिरकार कैटिल कैचिंग टीम ने बंदरों को मूंगफली का लालच देना शुरू किया. इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले चार दिनों में 359 बंदर पकड़ लिए गए. यह अलग बात है कि नगर निगम द्वारा खरीदी गई तीन कुंतल मूंगफली भी खा गए. शहर में लगभग पांच हजार बंदर हैं, जो मुसीबत बने हुए हैं. ये घरों में घुसकर फ्रीज से खाना निकाल लेते हैं. छतों पर फैलाए गए कपड़े फाड़ देते हैं. फूल और पत्तियों को तोड़कर फेंक देते हैं. स्थिति यह है कि पिछले दो सालों में बंदरों द्वारा हमले किए जाने की 187 घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें 66 लोगों के हाथ-पैर टूट गए. शहर से अभी तक 359 बंदर पकड़े जा चुके हैं. अभी यह अभियान 30 दिसंबर तक चलेगा.
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