नदिया के 13 मजदूर सोच नहीं पा रहे हैं कि वहां से वे लोग कैसे घर लौटें
माता-पिता और अपने परिवार के के चेहरे पर मुस्कान लायेंगे लेकिन अब उनके परिवार वाले भी चिंता में डूबे है. फंसे श्रमिकों के परिवारों का कहना है कि उन लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि वे लोग वहां जाकर ऐसी मुसीबत में फंस जायेंगे. वहां जाकर कुछ दिनों तक काम करने के बाद उन लोगों को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है. ऐसे ही वे घर लौटने की कोशिश करते हैं, लेकिन, कंपनी ने उनका वीजा और पासपोर्ट रोक लिया है. नदिया जिले के 13 मजदूर सोच नहीं पा रहे हैं कि वहां से वे लोग कैसे घर लौटें. उन्होंने वीडियो संदेश के जरिए घर लौटने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाया है. ऐसे में परिवार वाले भी बेहद चिंता में दिन गुजार रहा है.
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काम देने के नाम पर दुबई ले जाया गया
फंसे मजदूरों के पारिवार वालों का कहना है कि उन मजदूरों को अच्छा काम देने के नाम पर दुबई ले जाया गया था और वहां 16-16 घंटे तक काम कराया जा रहा है, कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है. यहां तक की सभी को एक छोटे से कमरे में एक साथ रखा गया है. सुनसान इलाके में उनका जीवन दूभर हो गया है. उन्हें भोजन पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. एक वीडियो संदेश में उन्होंने घर लौटने का अनुरोध किया, लेकिन उन्हें नहीं पता कि वापस कैसे लौटेंगे. मालूम रहे कि यह कोई नया मामला नहीं है बल्कि हालही में उत्तर 24 परगना जिले के देगंगा, बागदा, हेलेंचा समेत अलग-अलग इलाकों से 45 लोगों को काम के लिए दुबई ले जाया गया था. उस घटना में नदिया का नाम भी शामिल था. हांसखाली के सिलबेरिया का एक एजेंट उन्हें ले गए. इस बार भी वह घटना दूसरी बार हुई है.
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मजदूरो को हो रही है परेशानी
बताया गया है कि धानतला, करीमपुर और कल्याणी इलाके के 13 लोगों को काम के लिए दुबई ले जाया गया है. उन मजदूरों के परिवारों की ओर से नदिया और मुर्शिदाबाद के दो स्वयंसेवी संगठनों से संपर्क किया गया है. करीमपुर दो नंबर ब्लॉक के रहमतपुर ग्राम पंचायत के गोआश निवासी रूपाली हाल्दार ने कहा कि हमारे परिवार के चार सदस्य काम के लिए दुबई गए लेकिन डेढ़ महीना हो गया है, कोई पता नहीं चल पा रहे है. वे लोग भी फंसे हुए है.
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