नये वर्ष का पहला दिन केवल कैलेंडर बदलने का दिन नहीं होना चाहिए. पहली जनवरी अपने जीवन, आचरण और दिनचर्या को नये कलेवर में सजाने का संकल्प लेने का दिन भी है. मानवता का इतिहास दर्शाता है कि तमाम आपदाओं, दुर्घटनाओं और विपत्तियों के बावजूद मनुष्य ने आशा का दामन नहीं छोड़ा, आकांक्षाओं और सपनों से उसका नाता बना रहा. इसीलिए तो कहते हैं कि उम्मीद एक जिंदा शब्द है. यह सच है कि देश और दुनिया के सामने समस्याओं और संकटों का अंबार लगा हुआ है, पर यह भी सच है कि उनके समाधान के लिए भी सतत प्रयास हो रहे हैं. जलवायु परिवर्तन की चुनौती बड़ी है. बढ़ते तापमान के कारण धरती पर जीवन के अस्तित्व को लेकर आशंका बढ़ती जा रही है. इससे प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में भी तीव्र वृद्धि हो रही है. समाधान के क्रम में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन और उपभोग बढ़ाने तथा उत्सर्जन में कमी लाने की कोशिशें हो रही हैं. हम सभी को इन कोशिशों के साथ जुड़ना चाहिए और अपना योगदान करना चाहिए. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ-साथ हमें वित्तीय स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देनी चाहिए. इस वर्ष भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार का क्रम जारी रहेगा. इस बढ़ोतरी में हम सबकी अधिकाधिक सहभागिता होनी चाहिए, ताकि हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को पूरा कर सकें. यह भी आवश्यक है कि हम अपने देश और अपनी सांस्कृतिक विविधता को अधिक से अधिक जानें.
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