Home Badi Khabar Odisha: एक तरफ हॉकी वर्ल्ड कप की चकाचौंध, दूसरी ओर लाठीकटा में सात दशकों से 170 घर बिजली से महरूम

Odisha: एक तरफ हॉकी वर्ल्ड कप की चकाचौंध, दूसरी ओर लाठीकटा में सात दशकों से 170 घर बिजली से महरूम

0
Odisha: एक तरफ हॉकी वर्ल्ड कप की चकाचौंध, दूसरी ओर लाठीकटा में सात दशकों से 170 घर बिजली से महरूम

प्रतिनिधि, लाठीकटा: विश्व हॉकी कप में टिकटों की कालाबाजारी से अधिकांश लोग स्टेडियम में जाकर मैच देखने से वंचित हैं. वैसे लोगों के लिए प्रशासन ने दो दर्जन से अधिक स्थानों पर एलइडी स्क्रीन लगा रखी है, जहां पर लोग मैचों का सीधा प्रसारण देख सकें. लेकिन हॉकी वर्ल्ड कप की चकाचौंध से चंद किलोमीटर दूर दक्षिण राउरकेला में 170 परिवार सात दशकों से बिना बिजली के रह रहे हैं. यदि प्रशासन सभी को हॉकी वर्ल्ड कप की चकाचौंध का हिस्सा बनाने के लिए वहां पर भी मैच देखने के लिए एलइडी लगा दे तो भी वहां के लोग मैच नहीं देख पायेंगे क्योंकि वहां पर दशकों से बिजली ही नहीं है. गांव में बिजली नहीं पहुंचने से लोग दीये व ढिबरी की रोशन में रात गुजारने को मजबूर हैं.

गांव के गरीबों पर जिला प्रशासन नहीं देता ध्यान

जानकारी के अनुसार दक्षिण राउरकेला के रेंगाली गांव में 80, बीजूबंध गांव में 36, बागान बस्ती में 30 व काटे बस्ती में 25 परिवार विगत सात दशकों से रह रहे हैं. लेकिन सात दशक के बाद भी इन चार गांवों में बिजली नहीं पहुंच पायी है. यहां के निवासी स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर स्थानीय शासन-प्रशासन का ध्यान कई बार आकर्षित करा चुके हैं. लेकिन नतीजा अभी तक सिफर ही रहा है. इस क्षेत्र में रहने वाले लोग दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. जबकि अधिकांश युवा छात्र पढ़ाई के बाद बेरोजगार हैं, उनमें से कुछ लकड़ी काटकर अपना जीवन यापन करते हैं. बिजली नहीं होने से शाम होते ही यहां अंधेरा छाने के बाद छात्र-छात्राएं पढ़ाई नहीं करते हैं. गांव के आसपास पर्वत व जंगल होने से हर वक्त हाथियों का डर सताते रहता है. पिछले सप्ताह हाथियों ने हमला कर घरों के साथ फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचाया था. यह दुर्भाग्य की बात है कि केवल 1 किमी दूर झारबेड़ा गांव में बिजली का कनेक्शन है. लेकिन इन चार गांवों में आजादी के सात दशक के बाद भी बिजली नहीं पहुंची है.

क्या कहते हैं अंचल के ग्रामीण

अंबरित तिर्की ने बतााया कि हमारे गांव में दशकों से बिजली नहीं है. कई बार इसकी शिकायत स्थानीय विधायक से कर चुके हैं. हर वक्त सिर्फ आश्वासन मिलता है. आज तक बिजली गांव में नहीं पहुंच सकी है. अधिकारियों को ग्रामीणों की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है.

बुदा तिर्की ने कहा, मैं यहां पर पैदा हुआ व पला-बढ़ा हूं. पहले जैसी स्थिति थी, अब भी वही स्थिति है. हम लोग अंधेरे में रहने का आदी हो चुके हैं. सड़कें पहले भी नहीं थी, अब भी नहीं है. अब भी हमें चुआं खोदकर पानी पीना पड़ता है. देखते हैं कि अधिकारी हमारी कब सुध लेते हैं.

बिमल खालको ने कहा, बिजली नहीं होने से हम दशकों से अंधेरे में जी रहे हैं. हाथियों के हमले से बचाव के लिए रात को जागना पड़ता है. जब तक घर में मिट्टी का तेल और मोम जलता है, तब तक उजाला रहता है, नहीं तो यहां अंधेरा छा जाता है. बिजली विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की समस्याओं पर ध्यान दें.

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel
Exit mobile version