Tulsi Vivah 2023: तुलसी विवाह का विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Tulsi Vivah 2023 Date: हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देव उठनी एकादशी को तुलसी विवाह होता है, इस दिन देव उठनी एकादशी होती है.

By Radheshyam Kushwaha | November 15, 2023 1:47 PM
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देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पूरे चार महीने बाद क्षीर सागर में शयन मुद्रा से जग जाते हैं. इस दिन से ही शादी-विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. शास्त्रों में तुलसी पूजन का विशेष विधान है. तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. ज्योतिष शास्त्र में तुलसी विवाह के पर्व को भी महत्वपूर्ण माना गया है.

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है. तुलसी विवाह की तिथि का शुभारंभ 23 नवंबर, दिन गुरुवार को रात 9 बजकर 1 मिनट पर हो रहा है. वहीं, तिथि का समापन 24 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगा.

ज्योतिषाचार्य अम्बरीश मिश्र के अनुसार उदया तिथि के मान को देखते हुए तुलसी विवाह 24 नवंबर को मनाया जाएगा, इस दिन तुलसी पूजन के साथ व्रत रखना भी शुभ माना जाता है. तुलसी विवाह प्रदोष काल में किया जाता है, इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा.

इस साल तुलसी विवाह के दिन 3 शुभ योग का संयोग बन रहे हैं. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और सिद्धि योग बन रहे हैं. तुलसी विवाह सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा. तुलसी विवाह के दिन प्रात:काल से सिद्धि योग सुबह 09 बजकर 05 मिनट तक है.

तुलसी विवाह की पूजा के लिए एक तुलसी का पौधा, भगवान शालिग्राम की मूर्ति, शालिग्राम पत्थर या तस्वीर लें, इसके अलावा पीला कपड़ा, एक लाल रंग की चुनरी, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत्, मिट्टी का दीया, घी, फूल, मौसमी फल, पंचामृत, मूली, गन्ना, शकरकंद, आंवला, सिंघाड़ा, बेर, सीताफल, अमरूद, तुलसी विवाह कथा की पुस्तक, विष्णु सहस्रनाम आदि वस्तुएं घर ले आएं.

तुलसी विवाह के दिन एक साफ चौकी लें. चौकी पर आसन लगाकर तुलसी के पौधे को स्थापित करें. फिर दूसरी चौकी लें और उसपर शालिग्राम जी को स्थापित करें. अब दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप बनाएं. एक कलश लें और उसमें जल भरें. फिर उस कलश में सात आम के पत्ते गोलाकार में सजाएं और फिर उस कलश को पूजा स्थल पर रखें.

शालिग्राम और तुलसी मां को रोली से तिलक करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं. तुलसी के पौधे को लाल रंग की चुनरी उढ़ाएं, इसके बाद चूड़ी, बिंदी, सिन्दूर आदि वस्तुओं से तुलसी माता का श्रृंगार करें. चौकी समेत शालीग्राम भगवान को हाथों में लेकर तुलसी की 7 परिक्रमा करें, इसके बाद तुलसी माता और शालिग्राम भगवान की आरती करें. उन्हें भोग लगाएं और प्रसाद बाटें.

तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप यानी कि शालिग्राम भगवान से हुआ था, इस दिन जो भी दंपत्ति तुलसी पूजन कर भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं उनका वैवाहिक जीवन खुशियों से भर जाता है. वैवाहिक जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का घर में आगमन होता है.

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