पितृ पक्ष में किस दिन करना चाहिए पितर पूजन (Which Day Do Pitru Puja On Pitru Paksha)
भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन कृष्णपक्ष अवमस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं. जिस तिथि को माता -पिता का देहांत होता है. उस तिथि को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है. शास्त्रों के अनुशार पितृपक्ष में अपने पितरों के निर्मित जो अपनी सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रध्दापूर्वक श्राद्ध करता है उनका मनोरथ पूर्ण होता है.
पितृ पक्ष पिंड दान में किनकी पूजा की जाती है?
पितृपक्ष के अवधि में जो पूजन होता है पिंडदान तथा श्राद्ध कर्म हेतु उसमें भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. विष्णु के पूजन से ही प्रेत से पितृ योनी में जाने का दरवाजा खुल जाता है, साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.
श्राद्ध में कौओं का है विशेष महत्व
कौए को पितरों का रूप माना जाता है. मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितृ कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं. अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वह रुष्ट जाते हैं. इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिया जाता है.
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पितृ पक्ष में श्राद्ध 2022 की तिथियां (Pitru Paksha Shradh Tithi 2022 )
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10 सितंबर 2022- पूर्णिमा का श्राद्ध/ प्रतिपदा का श्राद्ध
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11 सितंबर 2022- द्वितीया का श्राद्ध
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12 सितंबर 2022- तृतीया का श्राद्ध
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13 सितंबर 2022- चतुर्थी का श्राद्ध
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14 सितंबर 2022- पंचमी का श्राद्ध
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15 सितंबर 2022- षष्ठी का श्राद्ध
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16 सितंबर 2022- सप्तमी का श्राद्ध
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18 सितंबर 2022- अष्टमी का श्राद्ध
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19 सितंबर 2022- नवमी श्राद्ध
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20 सितंबर 2022- दशमी का श्राद्ध
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21 सितंबर 2022- एकादशी का श्राद्ध
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22 सितंबर 2022- द्वादशी/सन्यासियों का श्राद्ध
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23 सितंबर 2022- त्रयोदशी का श्राद्ध
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24 सितंबर 2022- चतुर्दशी का श्राद्ध
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25 सितंबर 2022- अमावस्या का श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध, महालय श्राद्ध