क्या है पूरा मामला
परिवार वाले कानपुर में उसका इलाज कराते रहे. लेकिन, अज्जू ने इलाज के दौरान ही दम तोड़ दिया. इम्तियाजउद्दीन पर बेटे की मौत का गहरा असर पड़ा और वह पुत्र की याद ताजा कर वह रोने लगते थे और तरह-तरह की हरकतें करने लगे थे. पड़ोस के लोगों ने बताया कि उनमें भी वायरस आ गया था, और वह भी रैबीज का शिकार हो गए थे. उन्होंने काफी झाड़-फूंक भी कराई मगर, कोई फायदा नहीं हुआ और बेटे की मौत के कुछ दिन बाद ही उनकी भी मौत हो गई. लगातार दो मौत हो जाने से पूरे इलाके में सन्नाटा फैल गया. फिलहाल परिवार के सभी लोगों को जांच के लिए कानपुर महानगर भेजा गया है. वहीं परिजनों का कहना है कि बिल्ली की भी मौत एक महीने पहले हो गई थी. उसे आवारा कुत्ते ने काट लिया था.
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हिंसक हो गई थी बिल्ली
बताते दें चले कि इम्तियाजउद्दीन की पालतू बिल्ली को दो महीने पहले यानी सितंबर के महीने में एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था. इसके बाद इम्तियाजउद्दीन ने बिल्ली को डॉक्टर को दिखाया. उसका इलाज चल रहा था. करीब एक महीने बाद अक्टूबर में बिल्ली हिंसक हो गई. पहले उसने इम्तियाजउद्दीन की पत्नी को पंजा मारकर घायल किया, हालांकि वह बहुत ज्यादा जख्मी नहीं हुई. अक्टूबर के आखिर में बिल्ली ने उनके बेटे अजीम को काट लिया. इसी के दो घंटे बाद इम्तियाजउद्दीन को भी बिल्ली ने काट लिया. हालांकि परिवार वालों ने इसे सामान्य बात समझकर इलाज नहीं कराया. इसी बीच नवंबर के पहले हफ्ते में बिल्ली की मौत हो गई. इसके बाद 25 नवंबर को बेटे अजीम और 30 नवंबर को इम्तियाजउद्दीन की मौत हो गई.
जानलेवा बन सकती है रेबीज, जानें कितनी खतरनाक है बीमारी
चिकित्सकों के मुताबिक कुत्ता काटे तो लापरवाही नहीं करें. बच्चों को विशेष तौर पर बताएं कि कभी भी कुत्ता, बिल्ली, बंदर या अन्य काट ले तो तुरंत बताएं. कई बार इसे हल्का मानकर छोड़ देते हैं और रेबीज फैल जाता है, जिसका आगे चलकर कोई उपचार नहीं है. ऐसे मामलों में मरीज की मौत हो जाती है. स्ट्रीट डॉग के अलावा कई बार लोगों के पाले कुत्ता, बिल्ली के भी काटने के कई मामले सामने आ चुके हैं. जानवर के काटने के बाद अगर खून नहीं निकल रहा, तो घाव को साफ पानी और साबुन से धोएं. अगर आपको कमजोरी या बेहोशी महसूस हो रही है, तो फौरन मेडिकल मदद लें. अगर खून निकलना बंद नहीं हो रहा है या फिर घाव के आसपास की त्वचा में सूजन और रेडनेस है, तो आपको डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए.
कुत्ते के काटने पर इलाज की बात करें तो सामान्य तौर पर अधिकांश मामलों में डॉक्टर वैक्सीन या इंजेक्शन की सलाह देते हैं. अगर घाव खरोंच जितना है, तो वैक्सीन बेस्ट इलाज है हालांकि, अगर घाव गहरा है, तो आपको एंटी-रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन लगाया जाएगा. अगर आपको किसी पालतू कुत्ते ने काटा है, तो आपको तीन इंजेक्शन लगाए जाएंगे, क्योंकि पालतू कुत्तों को आमतौर पर वैक्सीन लगी होती है. पहला इंजेक्शन कुत्ते ने जिस दिन काटा है उसी दिन लगेगा, दूसरा तीन दिन के बाद और तीसरा कुत्ते के काटने के 7 दिनों बाद लगेगा. वहीं, अगर आपको सड़क पर किसी कुत्ते ने काटा है, तो आपको 5 से 7 इंजेक्शन लगवाने पड़ सकते हैं. ध्यान रखें कि कुत्ते के काटने के बाद डॉक्टर को 24 घंटे के अंदर जरूर दिखाएं.
जानवर के काटने पर अभी भी ग्रामीण परिवेश के ज्यादातर लोग एंटी रेबीज वैक्सीन यानी एआरवी लगवाने के बजाय घरेलू उपचार या झाड़-फूंक कराने पर विश्वास रखते हैं, जबकि यह बेहद घातक होता है. चिकित्सकों के मुताबिक रेबीज लाइलाज बीमारी है. ऐसे में रेबीज नहीं हो, इसके लिए वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है. कुत्ता, बिल्ली, बंदर, चमगादड़, लोमड़ी और सियार आदि के काटने से रेबीज हो सकती है.