Chhath Puja Rules: छठ के दौरान भूल कर भी न करें ये 6 काम, जानें इस गीत का मतलब
Chaiti Chhath Puja 2021 Date April, Chhath Puja, Argh Date, Rules, Mistakes, Precautions, Dos & Donts, Chhath Geet: मत्स्य और नारद पुराण के अनुसार छठ व्रत का विशेष महत्व होता है. कल यानी 16 अप्रैल 2021 से चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो रहा है. यह हिंदू धर्म का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि विधि विधान से व्रत करने से छठी मैया जल्दी ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है. लेकिन, व्रत में छोटी से गलती भी करने पर तुरंत नाराज होकर सजा भी दे देती हैं. ऐसे में आइये जानते हैं छठ के दौरान ये आम गलतियों के बारे में. साथ ही साथ जाने इससे बचने के उपाय....
By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2021 5:59 AM
Chaiti Chhath Puja 2021 Date April, Chhath Puja, Argh Date, Rules, Mistakes, Precautions, Dos & Donts, Chhath Geet: मत्स्य और नारद पुराण के अनुसार छठ व्रत का विशेष महत्व होता है. कल यानी 16 अप्रैल 2021 से चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो रहा है. यह हिंदू धर्म का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि विधि विधान से व्रत करने से छठी मैया जल्दी ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है. लेकिन, व्रत में छोटी से गलती भी करने पर तुरंत नाराज होकर सजा भी दे देती हैं. ऐसे में आइये जानते हैं छठ के दौरान ये आम गलतियों के बारे में. साथ ही साथ जाने इससे बचने के उपाय….
छठ व्रत के दौरान भूल कर भी न करें ये काम
छठ के किसी भी बर्तन या पूजन सामग्री को झूठे हाथ से नहीं छूना चाहिए. ऐसा करने से यह व्रत खंडित माना जाता है.
कहा जाता है कि इसमें चढ़ाने वाले प्रसाद भी जूठे नहीं होने चाहिए. अर्थात यदि पेड़ से तोड़े गए फल या फूल उपयोग में ला रहे हैं तो वे टूटे या पशु पक्षी द्वारा खाए हुए नहीं होने चाहिए. इसे शुद्ध नहीं माना गया है.
छठ के दौरान प्याज-लहसुन या मांस-मछली का सेवन वर्जित माना गया है. इस दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए. जबकि, लहसुन-प्याज, मांस-मछली आदि को राक्षसी भोजन माना गया है.
छठ व्रती को व्रत करने वाले जातक को कभी भी बेड, गद्दा, पलंग, सोफे आदि पर नहीं सोना चाहिए. बल्कि उनके लिए अलग से आसन बिछाना चाहिए. क्योंकि छठ को साधना का व्रत माना गया है.
छठ पूजा के दौरान पूर्व में इस्तेमाल में लाया गया पूजा का डाला या बर्तन दोबारा प्रयोग में नहीं लाना चाहिए. यदि बर्तन धातु का है तो उसे अच्छी तरह साफ करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है. लेकिन, डाला हर बार नया ही इस्तेमाल में लाना चाहिए. यदि असमर्थ है तो संपन्न लोगों की मदद लेनी चाहिए.
छठ के नाम पर जो भी वस्तु घर में लाया जाए उसे व्रत के दौरान ही इस्तेमाल करना चाहिए. किसी प्रसाद को अपने मन से नहीं बढ़ाना चाहिए. यदि बढ़ाते भी है तो हर साल उसे सामग्री के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए.
छठ में व्रत रखकर ही छठी मैय्या का प्रसाद बनाने की परंपरा होती है. इसपर एक गाना भी है जो इस पर्व की पवित्रता और शुद्धता का वर्णन करता है.
‘मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए,
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय’
इसका गीत का अर्थ: एक बार सुगवा अर्थात तोता छठ पूजा के प्रसाद के तौर पर लाए गए नारियल को जूठा कर देता है. जिसे देख लोगों को क्रोध आता है और उसे धनुष तीर से मार दिया जाता है. जिसके बाद सुगमी तोते के लिए छठ व्रत रखती है और छठी मैय्या से तोते को दोबारा जीवित करने की विनति करती है. मां व्रत से प्रसन्न होकर उसे दोबारा जीवित कर देती है. इस गाने में छठ पूजा की पवित्रता का वर्णन है.