कोलकाता: बंगाल के मशहूर कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित शंख घोष आखिरकार कोरोना महामारी से जंग हार गए हैं. बुधवार को उन्होंने आखिरी सांस ली है. उनकी आयु 89 साल थी. उनका जन्म पांच फरवरी 1932 को अविभाजित बंगाल के चांदपुर में हुआ था. मशहूर कवि शंख घोष इसी महीने की 14 तारीख को कोरोना संक्रमति हुए थे.
बताया जा रहा है कि उम्र अधिक होने की वजह से वह कई अन्य कोमोरबिडिटी वाली बीमारियां जैसे शुगर, प्रेशर आदि से भी पीड़ित थे. चिकित्सकों ने उन्हें कोरेंटिन रहने और लगातार इलाज कराने की सलाह दी थी. शुरुआती इलाज के बाद उनका बुखार कम हो गया था, लेकिन कमजोरी की वजह से उनकी हालत बिगड़ती चली गई और आखिरकार एक सप्ताह के अंदर बुधवार को आखरी सांस ली है.
शंख घोष ने कोलकाता के मशहूर प्रेसिडेंसी कॉलेज से 1951 में बंगाली साहित्य में ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी. उस वक्त से ही कविता लिखने की शुरुआत कर दी थी. इसके बाद उन्होंने 1954 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की.
बेहतरीन कविता लेखन के लिए शंख घोष को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें रवींद्र पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था. 2016 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
शंख घोष ने अपने लेखन में आम जनमानस के संघर्षों और मुफलिसी को बेहतरीन तरिके से कलमबद्ध किया है. हालांकि, गाहेबगाहे राजनीतिक हालात पर भी टिप्पणी को लेकर भी वह सुर्खियों में रहते थे. शंख घोष की गिनती उनके दौर के वह मशहूर आलोचकों में होती थी.
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शखं घोष के निधन को लेकर साहित्य जगत में शोक की लहर फैल गई है. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं. राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया है कि उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी.
Posted By: Pawan Singh
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