Shiv ji ki Aarti: सावन में पढ़ें शंकर जी की आरती अवश्य, ‘ॐ जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा…

Shiv Ji Ki Aarti on Sawan: सावन माह की शुरूआत 11 जुलाई से हो चुकी है. इस माह में शिव जी की पूजा करने से शुभफल मिलता है. इस मौके पर शिव जी की आरती का पाठ करना चाहिए. शिव जी की पूजा के दौरान आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आप भी सावन के दौरान जरुर करें शिव आरती.

By Shaurya Punj | July 14, 2025 1:32 PM
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Shiv ji ki Aarti in Hindi on Sawan: सावन माह की शुरूआत 11 जुलाई 2025 से हो चुकी है. इस माह सोमवार के दिन का विशेष महत्व होता है, ऐसे में शिव आराधना करना फलदायी होता है. क्योकि सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है. शिव जी की कृपा पाने के लिए भक्त सोमवार के दिन भी व्रत रखते हैं और शिव भक्ति में लीन रहते हैं. इस दिन पूजा के दौरान भगवान शिव शंकर की आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आप भी सावन से मौसम में हर दिन और खासकर सोमवार जरुर करें शिव आरती…

भगवान शिव की आरती

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा..
ओम जय शिव ओंकारा..

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एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे. हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे..
ओम जय शिव ओंकारा..

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे.
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे..
ओम जय शिव ओंकारा..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी.
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी..
ओम जय शिव ओंकारा..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे..
ओम जय शिव ओंकारा..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे..
ओम जय शिव ओंकारा..

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा.
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा..
ओम जय शिव ओंकारा..

पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा.
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा..
ओम जय शिव ओंकारा..

जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला.
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला..
ओम जय शिव ओंकारा..

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी.
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी..
ओम जय शिव ओंकारा..

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे.
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे..
ओम जय शिव ओंकारा.. ओम जय शिव ओंकारा..

आरती श्री शिव शंकर जी की (Shiv ji ki aarti)

आरती श्री शिव शंकर जी की,
जय गंगाधर जय त्रिपुरारी।
जय भैरव जय चंद्रमौलेश्वर,
जय दिगंबर जय भूतभवानी॥

जय हो गिरिजा पति दयालू,
सदा करें भक्तों पर कृपा।
दीनों की रक्षा करने को,
नंदी पर आकर सवार॥

त्रिशूलधारी डमरू बाजे,
नाचे भूतगण संग प्यारे।
बासुकी नाग गल में शोभे,
चंदा भी मस्तक ऊपर धारे॥

कैलासपति शिव शंकर प्यारे,
गौरीनाथ महाराज हमारे।
करें सदा तुम कृपा हम पर,
भवसागर से तारो सारे॥

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