हनुमान जी का पाठ कैसे किया जाता है?
हनुमान चालीसा को सुबह या शाम के समय लाल रंग के आसान पर बैठकर पढ़ सकते हैं. हनुमान चालीसा को सात बार पढ़ने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. हनुमान चालीसा में दोहा है की ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवै महावीर जब नाम सुनावै’। डर और भय से छुटकारा पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद ही फायदेमंद माना जाता है. हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद उनकी आरती जरूर करें.
हनुमान जी की रोज पूजा कैसे करें?
सबसे पहले धूप-दीप या दीया जलाकर भगवान राम और माता सीता की पूजा आराधना करें इसके बाद श्री हनुमान की पूजा करें. पूजा के दौरान श्री हनुमान को लाल वस्त्र, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें. अब रूई में चमेली का तेल डालकर भगवान हनुमान के सामने रख दें. कथा, सुंदर काण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करें.
हनुमान जी की पूजा का सही समय क्या है?
धर्म शास्त्रों में बजरंगबली की पूजा शाम के समय करना शुभ मंगलकारी बताया गया है. ज्योतिषी उपायों में भी कहा गया है, कि रात में 8 बजे के बाद घी का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ फलदाई होता है.
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Hanuman Ji Ki Aarti: हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।