पत्रकारों ने जब यह सवाल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष से पूछा, तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने से पहले सौरभ गांगुली को पार्टी में शामिल होना होगा. उन्हें पार्टी के लिए काम करना होगा. उसके बाद ही वह किसी पद के दावेदार हो सकते हैं. उधर, चर्चा यहां तक पहुंच गयी कि भाजपा के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की काट सौरभ ही होंगे.
इस संबंध में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पश्चिम बंगाल के मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने भी अपने विचार रखे. सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि कौन कहा जाता है, कौन किसके साथ बातचीत करता है, इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. मुलाकात और बातचीत का अगर कोई निष्कर्ष निकलता है, तभी उस पर कोई प्रतिक्रिया दी जा सकती है.
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उल्लेखनीय है कि सौरभ गांगुली ने रविवार को राजधानी कोलकाता में शाम को करीब एक घंटे तक राज्यपाल से बातचीत की थी. शाम को सौरभ गांगुली राजभवन गये और एक घंटे तक वहां रुके. इसके बाद से ही कयास लगने लगे कि सौरभ गांगुली राजनीति में कदम रखने वाले हैं. इस संबंध में दिलीप घोष ने भी कहा कि ऐसे लोगों को राजनीति में आना चाहिए.
सोमवार सुबह सौरभ गांगुली जब दिल्ली के लिए रवाना हुए और दिलीप घोष का उपरोक्त बयान आया, तो बीसीसीआइ के अध्यक्ष और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान के राजनीति में आने की चर्चा को बल मिलने लगा. हालांकि, अब तक सौरभ गांगुली की ओर से इस संबंध में कोई बयान नहीं आया है. भाजपा ने भी साफ-साफ कुछ नहीं कहा है.
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Posted By : Mithilesh Jha