Subhash Chandra Bose Jayanti:रामगढ़ में कांग्रेस के समानांतर अधिवेशन में शामिल हुए थे नेताजी,देखें दुलर्भ Pics

रामगढ़ से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कई यादें जुड़ी हैं. 1940 में कांग्रेस सम्मेलन से सामांतर 'समझौता विरोधी सम्मेलन' में शिरकत करने नेताजी रामगढ़ आये थे. रांची रोड स्टेशन पर नेताजी के स्वागत में काफी भीड़ इकट्ठा हुआ था. यहां से नेताजी का बैलगाड़ी में सम्मेलन स्थल तक ले जाया गया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2023 11:02 PM
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रामगढ़, नीरज अमिताभ : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादें रामगढ़ से भी जुड़ी हुई हैं. नेताजी वर्ष 1940 में रामगढ़ आये थे तथा रामगढ़ में कांग्रेस सम्मेलन के समानांतर ‘समझौता विरोधी सम्मेलन’ किया था. उस वक्त द्वितीय विश्व युद्ध की आहट प्रारंभ हो गई थी. महात्मा गांधी का मानना था तथा समझौता करने के पक्ष में थे कि द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) में भारतीयों को अंग्रेजों के तरफ से लड़ना चाहिए और इसके एवज अंग्रेज भारत को आजाद कर देंगे. इसके विरोध में नेताजी सुभाष चंद्र बोस रामगढ़ आये तथा समझौता विरोधी सम्मेलन 19 मार्च, 1940 को रामगढ़ में किये. नेताजी द्वारा किया गया समझौता विरोधी सम्मेलन किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था.

नेताजी ने सम्मेलन कहा किया था उसके जगह को लेकर लोगों में अलग-अलग राय है. बताया जाता है कि रामगढ़-बरकाकाना मार्ग पर जहां अभी टेलिफोन एक्सेंज है तथा नये बस स्टैंड के निकट एमईएस के फर्नीचर यार्ड में से एक स्थान पर नेताजी ने सम्मेलन किया था. लेकिन, अधिकतर कहा जाता है कि एमईएस के फर्नीचर यार्ड जहां है वहीं नेताजी का सम्मेलन हुआ था. नेताजी ट्रेन से रांची रोड स्टेशन पर उतरे थे तथा वहां से बैलगाड़ी पर उन्हें रामगढ़ लाया गया था. लोगों की भारी भीड़ नेताजी के स्वागत में जुटी तथा भारी भीड़ के साथ नेताजी रामगढ़ पहुचे थे. रामगढ़ में नेताजी ने आमसभा को भी संबोधित किया था. इसके बाद नेताजी रांची होते हुए वापस लौट गये थे.

नेताजी द्वारा स्थापित पार्टी अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक ने 70 के दशक में रामगढ़ में अपना अधिवेशन किया तथा नेताजी की छोटी प्रतिमा तत्कालिन भुरकुंडा चौक पर स्थापित की. प्रतिमा स्थापना के बाद चौक का नाम सुभाष चौक हुआ. 80 के दशक में दोबारा फॉरवर्ड ब्लॉक ने रामगढ़ में अधिवेशन किया तथा सुभाष चौक पर नेताजी की आदमकद प्रतिमा स्थापित किया. आदमकद प्रतिमा का अनावरण एकीकृत बिहार के तत्कालीन राज्यपाल एआर किदवई ने किया था.

आमतौर पर लोग कहते हैं कि रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान नेताजी का महात्मा गांधी से मतभेद हुआ तथा वे उनसे अलग हुए. जबकि रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन से पूर्व ही बंबई में हुए कांग्रेस अधिवेशन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधीजी के उम्मीदवार सीता पट्भरमैया को हराया तथा इस्तीफा देकर कांग्रेस से अलग हो गये थे. रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में वे गये भी नहीं तथा अलग समानांतर अधिवेशन किया.

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