हेमंत सरकार में अफसरवाद हावी
आजसू सुप्रीमो ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य, चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है. सरकार नहीं चाहती है कि लोग स्वस्थ रहें और शिक्षित रहें. किसी राज्य के नागरिक स्वस्थ और शिक्षित होते हैं तो वे अपने हक और अधिकार के लिए लड़ते हैं, जो सरकार नहीं चाह रही है. सरकार जल, जंगल जमीन के रक्षकों को उनके अधिकारों से वंचित रख रही है. कहा कि हेमंत सरकार में अफसरवाद हावी है. ग्राम प्रधान जो अपने गांव का प्रतिनिधित्व करते हैं, अगर उन्हें बीडीओ-सीओ से मिलने की जरूरत हो, तो ब्लॉक में कार्यरत चपरासी मिलने से रोक देते हैं. आप सहज अनुमान लगाइए कि इस राज्य में आम लोगों का क्या अधिकार है? जब चुने हुए जनप्रतिनिधि को बीडीओ-सीओ से मिलने के लिए चपरासी रोक सकता है, तो आम जनों का राज्य में क्या हाल होगा, इसका अनुमान लगा सकते हैं.
नियोजन नीति के नाम पर केवल गुमराह किया जा रहा
उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान भी अपने गांव का प्रतिनिधित्व करते हैं. फिर उन्हें अन्य जनप्रतिनिधियों की तरह सम्मान क्यों नहीं दिया जा रहा है? हमें अपने सम्मान और अधिकार के लिए लड़ना होगा. इस सरकार के तीन साल बीत गए, लेकिन आज भी लोगों को अपने अधिकार के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. आज भी यहां के मूलवासी, आदिवासी को अपने अधिकार के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है. चारों ओर सरकार के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं. नियोजन नीति के नाम पर केवल गुमराह किया जा रहा है.
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मेरा बाप लाल कार्ड, हम भी लाल कार्ड और मेरा बेटा भी लालकार्ड होगा, यही चल रहा है राज्य में
सरकार की विकास नीतियों को आड़े हाथ लेते हुए सुदेश महतो ने कहा कि इस सरकार में मेरा बाप लाल कार्ड, हम भी लाल कार्ड और मेरा बेटा भी लाल कार्ड यही नीति चल रही है. किसी का विकास नहीं हो रहा है. एक से पांच तक खिचड़ी खिलाओ स्कूल और उसके बाद बिना ज्ञान के डिग्री लेकर घर जाओ, यही व्यवस्था चल रही है. रोजगार के नाम पर गांव में मनरेगा को छोड़कर कौन-सा काम चल रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है. प्रतिदिन युवा रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं. कहा कि सीएम हेमंत सोरेन गांव के बेटा को गांव के ही बेरोजगार युवक बना के रखने का काम कर रहे हैं.
सरकार की गलत नीतियों के विरोध में करना होगा जोरदार आंदोलन
सुदेश महतो ने कहा कि जब हेमंत सोरेन की सरकार बनी, तो लोगों से यह वादा करके आयी कि सरकार बनते ही 25 करोड़ रुपये तक का टेंडर ग्रामीण युवाओं को दिया जाएगा. 25 करोड़ की तो बात छोड़िए, प्रखंड स्तर पर जो वेंडर का काम होता है, उसमें एक भी आदिवासी नहीं है. कहा कि जब अंग्रेजों के साथ आदिवासियों की लड़ाई हुई थी तो इतिहास गवाह है कि आदिवासियों ने कभी पीठ पर गोली नहीं खायी. हमें इस दमनकारी सरकार के विरुद्ध जोरदार तरीके से आंदोलन करने की जरूरत है. कार्यक्रम में आजसू नेता देवशरण भगत, अर्जुन बैठा, तरुण गुप्ता समेत अन्य ने भी संबोधित किया. मौके पर आजसू जिलाध्यक्ष राजेश महतो, सीतामुनि सोरेन, निमाई सेन, इमामुद्दीन अंसारी, वासुदेव गोस्वामी समेत अन्य लोग मौजूद थे.