Teachers’ Day 2020 : कोरोना की लड़ाई हो या मोबाइल रिचार्ज, हर मर्ज की दवा हैं झारखंड के मास्टर साहब

Shikshak Diwas 2020, Jharkhand News : भले ही इनकी नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई है, लेकिन समाज को जब भी जरूरत महसूस हुई, मास्टर साहब संकट मोचक बनकर खड़े हो गये. यूं कहें कि झारखंड के मास्टर साहब हर मर्ज की दवा हैं, तो गलत नहीं होगा

By Prabhat Khabar News Desk | September 5, 2020 6:12 AM
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Shikshak Diwas 2020, Jharkhand News : (सुनील कुमार झा) रांची : भले ही इनकी नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई है, लेकिन समाज को जब भी जरूरत महसूस हुई, मास्टर साहब संकट मोचक बनकर खड़े हो गये. यूं कहें कि झारखंड के मास्टर साहब हर मर्ज की दवा हैं, तो गलत नहीं होगा. मिसाल के तौर पर कोरोना के इस दौर को ही ले लीजिए. शुरुआत से ही चिकित्सक, नर्स और पुलिसकर्मियों के साथ-साथ सरकारी शिक्षक भी कोरोना माहामारी से जारी लड़ाई में फ्रंट पर खड़े दिख रहे हैं.

राज्य में 17 मार्च से विद्यालय बंद हैं. बच्चे विद्यालय नहीं आ रहे हैं, लेकिन सरकारी शिक्षकों को लगातार विभिन्न कार्यों के लिए प्रतिनियुक्त किया जाता रहा है.

पीडीएस से अनाज वितरण का काम हो या बाहर से आनेवाले वाहनों की जांच, हर जगह शिक्षकों को तैनात किया गया. शिक्षक लगातार कोरेंटिन सेंटर में प्रतिनियुक्त हैं. कुछ जिलों में आठ घंटे की शिफ्ट बांटकर शिक्षकों को पुलिस के साथ दंडाधिकारी बनाकर प्रतिनियुक्त कर दिया गया, जहां वे बालू की अवैध ढ़ुलाई रोकने में पुलिस की मदद करते दिखे.

पढ़ाई के लिए वीडियो तैयार करने से लेकर मोबाइल तक करा रहे रिचार्ज

ऐसा नहीं है कि हमारे शिक्षक केवल कोरोना से लड़ाई में ही लगे रहे, बल्कि इस दौरान वे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी भी निभाते रहे. विद्यालय बंद होने स्थिति में कुछ शिक्षकों ने अपने स्तर से घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. बिना एक पैसा सरकारी मदद के ई-लर्निंग कंटेंट तैयार कर दिया. पलामू के शिक्षक राजेश कुमार ने टाेला-मुहल्ला जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया.

दुमका के राजीव लोचन सिंह ने कक्षा छह से आठ तक के गणित विषय के प्रत्येक अध्याय की वीडियो टीचिंग क्लास तैयार कर यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिया. आज राज्य के विभिन्न जिलों में बच्चे इसके आधार पर पढ़ाई कर रहे हैं. कुछ शिक्षक ऑनलाइन पढ़ाई के लिए अपने पैसे से बच्चों का मोबाइल रिचार्ज करा रहे हैं. जमशेदपुर की शिक्षिका शिप्रा ने अपने पैसे से बच्चों को मोबाइल रिचार्ज करना शुरू किया. इसके बाद बच्चों के पठन-पाठन के लिए सामाजिक सहयोग भी मिलने लगा. ऐसे में देखा जाये, तो हर फॉर्मेट में अपने मास्टर साहब फिट हैं.

मैं हूं ना!

बच्चों को घर-घर जाकर चावल पहुंचाया, चेकनाका में दंडाधिकारी के रूप में वाहनों की जांच भी की

कोरोना संक्रमण में राशन बांटने से लेकर अवैध बालू ढुलाई रोकने तक का जिम्मा मिला

प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने का काम हो या कोरेंटिन सेंटर में प्रतिनियुक्ति का, सबसे आगे रहे शिक्षक

मास्टर साहब ने ये भी किया

1. एक मार्च से 31 अगस्त तक के मध्याह्न भोजन का चावल बच्चों के घर-घर जाकर पहुंचाया.

2. कुकिंग कॉस्ट की राशि बच्चों के अभिभावकों को घर जाकर दी.

3. किताब और स्कूल कीट का वितरण किया.

4. बच्चों को ऑनलाइन लर्निंग मेटेरियल भेजा.

बच्चों को घर-घर जाकर चावल पहुंचाया

विद्यालय की बंद अवधि में सरकार द्वारा बच्चों को मध्याह्न भोजन का चावल व राशि उपलब्ध करायी जा रही है. शिक्षक गत छह माह के मध्याह्न भोजन का चावल व राशि बच्चों के घर-घर जाकर पहुंचा रहे हैं. राज्य के लगभग 30 लाख बच्चों को मध्याह्न भोजन का चावल, कुकिंग कॉस्ट व अंडा की राशि दी जा रही है.

कोविड-19 की लड़ाई में शिक्षकों का योगदान

1. झारखंड आनेवाले प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से उतरने के बाद उन्हें घर तक पहुंचाना.

2. प्रवासी मजदूरों को बस से एक से दूसरे जिला पहुंचाना.

3. कोरेंटिन सेंटर में 24 घंटा अलग-अलग शिफ्ट में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति.

4. बाहर से आनेवाले वाहनों की कोविड -19 के अनुपालन की जांच के लिए पुलिस के साथ चेकनाका पर प्रतिनियुक्ति.

5. पीडीएस दुकानों से लाभुकों को सही तरीके से अनाज वितरण सुनिश्चित कराना.

6. फर्जी राशन कार्ड रद्द करने के लिए घर-घर जाकर सर्वे करना.

7. बालू की अवैध ढुलाई रोकने के लिए दंडाधिकारी भी बने.

8. गांव में बाहर से आनेवाले लोगों का सर्वे करना और लिस्ट तैयार करना.

9. घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेना.

Post by : Pritish Sahay

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