खरसावां गोलीकांड को जानें
खरसावां रियासत को ओडिसा में विलय करने को लेकर आजाद भारत का पहला गोलीकांड 1 जनवरी, 1948 को खरसावां में हुआ. खरसावां हाट में करीब 50 हजार आदिवासियों की भीड़ पर ओडिसा मिलिट्री पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियां चलायी थी. इसका कारण सरायकेला और खरसावां को उड़ीसा में विलय करने को था. लेकिन, यहां के आदिवासी उड़ीसा में इसे शामिल नहीं करना चाहते थे. 1 जनवरी, 1948 को जयपाल सिंह मुंडा को सुनने खरसावां हाट में बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक का जमावड़ा था. इसी बीच ओडिसा मिलिट्री पुलिस ने इन आदिवासियों पर अंधाधुंध गोलियां चलायी, जिसमें कई लोग शहीद हो गये. इसी की याद में हर साल शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है.
इधर, 1 जनवरी 2021 को खरसावां शहीद दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक जनवरी, 2021 के दोपहर करीब एक बजे पहुंचने की संभावना है. इसको लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने, आवश्यकता अनुसार बैरिकेटिंग करने, ड्रॉप गेट लगाने का निर्देश दिया.
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जिला के अधिकारियों ने भी किये जा रहे सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में विस्तार से जानकारी लेने के साथ आवश्यक दिशा- निर्देश दिया. मौके पर अधिकारियों ने आदिवासी समन्वय समिति के मनोज सोय से विस्तार से जानकारी ली. बताया गया कि शहीद दिवस को लेकर शहीद पार्क का भी सौंदर्यीकरण कर दिया गया है. चांदनी चौक के साथ- साथ शहीद पार्क के भीतर CCTV से भी नजर रखी जायेगी.
लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो, इसकी तैयारी की जा रही है : डीसी
डीसी इकबाल आलम अंसारी ने कहा कि खरसावां शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो, इसकी तैयारी की जा रही है. सभी लोगों को मास्क लगा कर शहीद पार्क में प्रवेश करना है. इसके लिए व्यवस्था सुदृढ़ की जा रही है.
निरीक्षण के दौरान ये अधिकारी थे मौजूद
निरीक्षण के दौरान मुख्य रूप से डीडीसी प्रवीण कुमार गागराई, डीएफओ आदित्य रंजन, एसडीओ रामकृष्ण कुमार, एसडीपीओ राकेश रंजन, बीडीओ मुकेश मछुआ, थाना प्रभारी प्रकाश रजक, रेजर अपर्णा चंद्रा समेत अन्य पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे.
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Posted By : Samir Ranjan.