24 मीटर अंदर तक डाले गये पाइप- एनएचआइडीसीएल
इधर, राहत और बचाव में जुड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने कहा है कि अमेरिकी मशीन के जरिये राहत और बचाव काम में तेजी आयी है. इस बीच उन्होंने तकनीकी समस्याओं के कारण बचाव कार्य में बाधा की बात को खारिज किया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इंदौर से मशीन सिर्फ बैकअप के लिए मंगाई गई है. एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को का इस बारे में कहना है कि मलबे में ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबी चार पाइप डाल दिए गए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है की डीजल से चलने के कारण ड्रिलिंग मशीन की गति भी धीमी है.
बीच में रोकना पड़ा था काम
बता दें, बीते मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में खुदाई का काम शुरू किया गया था. लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने के साथ-साथ मशीन में कुछ तकनीकी समस्या आ गई थी. जिसके कारण काम को बीच में रोक देना पड़ा था. वहीं, एनएचआइडीसीएल का कहना है कि बीच-बीच में ड्रिलिंग को रोकना भी पड़ता है क्योंकि भारी मशीन में कंपन होने से मलबा गिरने का खतरा हो सकता है. खाल्को ने बताया कि टीम एक रणनीति के तहत काम कर रही है. ताकी किसी तरह की गलती न हो. वहीं, उन्होंने कहा कि बैक अप योजना के तहत इंदौर से एक और ऑगर मशीन मंगाई गई है.
गौरतलब है कि टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन को घटनास्थल तक मंगवाया गया था. मौके पर बचाव कार्यों की निगरानी कर रह एक विशेषज्ञ आदेश जैन ने बताया कि अमेरिकी ऑगर मशीन को बचाव कार्यों की गति तेज करने के लिए मंगाया गया है. वहीं, सुरंग में फंसे मजदूरों को पाइप के जरिये ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी की सप्लाई की जा रही है.
भाषा इनपुट से साभार