विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे सर्वार्थ सिद्धि समेत 4 शुभ योग, ज्योतिषाचार्य से जानें पूजन संबंधित पूरी जानकारी

Vishwakarma Puja 2023 Date: विश्वकर्मा पूजा का पर्व हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है. इसी दिन सूर्य कन्या राशि में गोचर करते है, जिसे कन्या संक्रांति कहा जाता है. इस बार विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि समेत 4 शुभ योग बन रहे हैं, जिससे यह दिन और भी विशेष फलदायी हो गया है.

By Radheshyam Kushwaha | September 16, 2023 10:26 AM
an image

इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2023 दिन रविवार को है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है. ये सभी शुभ योग आपके मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होंगे. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ योग और पूज विधि के बारे में…

ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि इस साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर दिन रविवार को है. इस दिन कन्या संक्रांति का क्षण दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर है. इस समय सूर्य देव कन्या रा​शि में गोचर करेंगे. ऐसे में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है.

  • सुबह का मुहूर्त – 17 सितंबर 2023 दिन रविवार को सुबह 07 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक

  • दोपहर का मुहूर्त – 17 सितंबर 2023 दिन रविवार दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक

विश्वकर्मा पूजा के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार करीब 50 साल बाद विश्वकर्मा पूजा के दिन कई दुर्लभ योग बन रहे है. इनमें अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और द्विपुष्कर योग शामिल हैं. वहीं हस्त्र नक्षत्र सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक है और उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है. ये सभी शुभ योग आपके मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होंगे.

  • सर्वार्थ सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक

  • द्विपुष्कर योग – 17 सितंबर 2023 को सुबह 10 बजकर 02 मिनट से सुबह 11 बजकर 08 मिनट तक

  • ब्रह्म योग – 17 सितंबर 2023 को प्रात: 04 बजकर 13 मिनट से 18 सितंबर 2023 को सुबह 04 बजकर 28 मिनट तक

  • अमृत सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक

  • हस्त्र नक्षत्र- 17 सितंबर को हस्त्र नक्षत्र सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक है और उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है.

भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए आपको सुबह उठकर स्नान करना चाहिए. शुभ मुहूर्त में भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठ जाएं और उसके बाद सबसे पहले गंगाजल से मूर्ति या उनके चित्र को स्नान कराएं और उसके बाद अक्षत, रोली, हल्दी, चंदन, फूल, रोली, मौली, फल-फूल, धूप-दीप, मिष्ठान आदि अर्पित करें. फिर पूजा में घर में रखा लोहे का सामान और मशीनों को शामिल करें. पूजा करने वाली चीजों पर हल्दी और चावल लगाएं. इसके बाद पूजा में रखे कलश को हल्दी लगा कर रक्षासूत्र बांधे. इसके बाद ॐ विश्वकर्मणे नमः मंत्र का 108 बार जप करें. फिर विश्वकर्मा जी की आरती करें. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को चढ़ाया गया प्रसाद सभी लोगों को बांट दें और स्वयं भी ग्रहण करें.

सुपारी, रोली, पीला अष्टगंध चंदन, हल्दी, लौंग, मौली, लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, मिट्‌टी का कलश, नवग्रह समिधा, जनेऊ, इलायची, इत्र, सूखा गोला, जटा वाला नारियल, धूपबत्ती, अक्षत, धूप, फल, मिठाई, बत्ती, कपूर, देसी घी, हवन कुण्ड, आम की लकड़ी, दही, फूल आदि पूजन सामग्री में शामिल करें.

पूजा में हल्दी, रोली, अक्षत, फल, फूल, मिठाई, दीप, रक्षासूत्र और नारियल, लौंग शामिल करें. इन पूजन सामग्री के बिना कोई भी पूजा-पाठ या हवन अधूरा माना जाता है. अक्सर पूजा के बाद थोड़ी बहुत पूजन सामग्री बच ही जाती है. आमतौर पर लोग बची पूजन सामग्री को या तो मंदिर में रख देते हैं या फिर बहते जल में प्रवाहित कर देते हैं.

17 सितंबर को शुभ मुहूर्त में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें, उन्हें फूल, हल्दी, कुमकुम, नारियल अर्पित करें. अब इस दिन कुष्ट रोगियों को फल, जल या अन्न पेय पदार्थ बांटें. मान्यता है इससे नौकरी में तरक्की के रास्ते खुलते हैं.

विश्वकर्मा जयंती के दिन कार्यस्थल पर मशीनरी की पूजा कर ऊं आधार शक्तपे नम: मंत्र का जाप करें. मान्यता है इससे व्यापार अच्छा फलफूलता है. कार्य में कुशलता आती, यहां तक की व्यक्ति की काम में भी विकास होता है, जो उसे धन लाभ देता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version