Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा पूजा कब है, नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Vishwakarma Puja 2023 Kab Hai: 17 सितंबर को भगवान विश्कर्मा की पूजा की जाती है. इसी दिन सूर्य कन्या राशि में गोचर करेंगे. इस दिन देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्कर्मा की पूजा का विधान है.

By Radheshyam Kushwaha | September 8, 2023 11:30 AM
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Vishwakarma Puja: विश्वकर्मा पूजा हर साल सितंबर महीने में मनाई जाती है. इस दिन विश्वकर्मा भगवान (शिल्पकार) की कृपा पाने के लिए लोहे, लक्कड़, कल पुर्जों और मशीनरी की साफ सफाई कर पूजा पाठ की जाती हैं. विश्वकर्मा देव शिल्पी हैं, जो लोगों के लिए साधन और संसाधन की व्यवस्था करते हैं. इस बार विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन रविवार को मनाई जाएगी. इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह से शुरू होकर शाम तक रहेगा. इस दौरान लोग औजारों, मशीनों आदि रोजगार के साधनों की पूजा कर सकते हैं.

  • विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2023 दिन रविवार की सुबह 07 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक शुभ मुहूर्त है.

  • वहीं दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक भी विश्कर्मा पूजा की जा सकती है.

विश्वकर्मा पूजा औद्योगिक क्षेत्र सहित कलाकार कानून में सबसे ज्यादा मनाया जाता है. इस दिन लोहे की बनी सभी चीजों की पूजा होती है. यह पूजा पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, बिहार, झारखंड के साथ विदेशों में और पड़ोसी देश नेपाल में खास तौर पर धूमधाम से मनाई जाती है.

धार्मिक शास्त्र के अनुसार नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की. ब्रह्माजी के निर्देश पर ही विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, इंद्रपुरी, त्रेता में लंका, द्वापर में द्वारिका एवं हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथ पुरी का निर्माण किया. इसके साथ ही प्राचीन शास्त्रों में वास्तु शास्त्र का ज्ञान, यंत्र निर्माण विद्या, विमान विद्या आदि के बारे में भगवान विश्कर्मा ने ही जानकारी प्रदान की है.

‘विश्वं कृत्यस्नं वयापारो वा यस्य सः’ अर्थात् जिसकी सम्यक सृष्टि व्यापार है, वहीं विश्वकर्मा है. प्राचीन काल से ब्रम्हा-विष्णु और महेश के साथ विश्कर्मा की पूजा-आराधना का प्रावधान हमारे ऋषियों-मुनियों ने किया हैं. भगवान विश्वकर्मा को प्राचीन काल का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. इस दिन औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े उपकर, औजार, की पूजा करने से कार्य में कुशलता आती है. शिल्पकला का विकास होता है. कहा जाता है कि देव शिल्पी विश्वकर्मा संसार के सबसे पहले इंजीनियर हैं, जो साधन और संसाधन के लिए जाने जाते हैं.

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