नंदीग्राम का महासंग्राम: 2016 को दोहराने उतरे हैं सेनापति शुभेंदु, महारानी ममता के सामने सफल होगी रणनीति? क्या हैं हॉटसीट के आंकड़े
Mamata Banerjee vs Suvendu Adhikari: राजनीति में कल के दोस्त आज के दुश्मन बन जाएं तो उसे फिल्म की स्क्रिप्ट समझने की गलती नहीं करनी चाहिए. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कैंडिडेट्स के नामों के ऐलान के बाद ऐसे समीकरण ही दिखाई दे रहे हैं. पश्चिम बंगाल की सबसे हॉट सीट नंदीग्राम बन चुकी है. यहां पर महारानी और सेनापति ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच टक्कर होने वाली है.
By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2021 1:00 PM
Mamata VS Suvendu: राजनीति में कल के दोस्त आज के दुश्मन बन जाएं तो उसे फिल्म की स्क्रिप्ट समझने की गलती नहीं करनी चाहिए. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कैंडिडेट्स के नामों के ऐलान के बाद ऐसे समीकरण ही दिखाई दे रहे हैं. पश्चिम बंगाल की सबसे हॉट सीट नंदीग्राम बन चुकी है. यहां पर महारानी और सेनापति (ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी) के बीच टक्कर होने वाली है. शुभेंदु अधिकारी ने जीत का दावा किया है तो सीएम ममता बनर्जी भी नहीं हारने की बात कह रही हैं.
पूर्वी मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम सीट पर अधिकारी परिवार का दबदबा रहा है. नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत चुके हैं. शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी का नंदीग्राम में काफी सम्मान है. 2016 में शुभेंदु अधिकारी ने सीपीआई के अब्दुल कबीर शेख को 80 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. नंदीग्राम में ‘आमार दादार अनुगामी’ (हम शुभेंदु दादा के समर्थक) नारा खूब प्रचलित है.
शुभेंदु के हिसाब से चल रही हैं ममता बनर्जी
नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला करके ममता बनर्जी ने सभी को चौंकाया है. दिलचस्प तथ्य यह है कि ममता बनर्जी अपने पूर्व सेनापति शुभेंदु अधिकारी को सबक सिखाने (हराने) के लिए नंदीग्राम पहुंची हैं. यह भी कहा जा सकता है कि शुभेंदु अधिकारी के कारण ममता बनर्जी ने भवानीपुर सीट की जगह नंदीग्राम सीट को चुना है. 2004 में नंदीग्राम में किसान आंदोलन का नेतृत्व शुभेंदु ने किया था. उस समय टीएमसी में शामिल शुभेंदु ममता के लिए रणनीति बनाते थे. आज ममता उनके ही खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.
नंदीग्राम विधानसभा सीट पर वोटर्स का मिजाज
नंदीग्राम विधानसभा सीट के आंकड़ों पर गौर करें, तो यहां 70 फीसदी आबादी हिंदुओं की है. बाकी आबादी मुस्लिमों की. यहां मुस्लिम वोटर्स को निर्णायक माना जाता है. वर्ष 2006 में पहले और दूसरे नंबर पर मुस्लिम प्रत्याशी रहे थे. 2011 में ममता बनर्जी की बंगाल में बड़ी जीत हुई थी और नंदीग्राम में भी मुस्लिम कैंडिडेट जीते थे. जीत-हार का अंतर 26 फीसदी थी.
पहले नंदीग्राम उत्तर और दक्षिण में बंटा था. 1951 से 1962 तक नंदीग्राम उत्तर पर कांग्रेस के सुबोध चंद्र माइती जीतते रहे. नंदीग्राम दक्षिण पर 1962 में कांग्रेस के प्रबीर चंद्र जेना जीते. 1957 में भाकपा के भूपल चंद्र पांडा ने दक्षिण से जीत दर्ज की. 1951 में नंदीग्राम दक्षिण से कांग्रेस के प्रबीर चंद्र जेना जीते.
1967 से 1972 तक भाकपा के भूपल चंद्र पांडा जीतते रहे.
1996: कांग्रेस के देवीशंकर पांडा 61 हजार से ज्यादा वोट से जीते.
2006: भाकपा के इलियास मोहम्मद को 69 हजार से ज्यादा वोट से मिली जीत.
2009: उपचुनाव में टीएमसी की फिरोजा बीबी जीतीं.
2011: टीएमसी की फिरोजा बीबी 61.21 प्रतिशत वोट पाकर बड़े अंतर से जीतीं.
2016: टीएमसी के शुभेंदु अधिकारी जीते. शुभेंदु को 66 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले.