अवध के नवाबों ने किया सहयोग
जानकारी के अनुसार राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या को नए सिरे से बसाने के दौरान कई मंदिरों का निर्माण करवाया था. औरंगजेब के शासनकाल में अयोध्या में कई मंदिर तोड़े गए थे. हनुमानगढ़ी स्थित छोटे से मंदिर पर भी हमला हुआ था, लेकिन उनकी अराधना करने वाले बैरागियों ने इसे विफल कर दिया. बजरंगबली अपनी जगह पर विराजमान रहे. अयोध्या की इस सिद्धपीठ की महत्व को लेकर कई और रोचक कहानियां भी मिलती है, इनमें से एक है अवध के नवाबों का इसके निर्माण और सुरक्षा को लेकर सहयोग किया.
हनुमानजी जी की कृपा…
दूसरी कहानी यह है कि एक बार अवध के नवाब शुजाउद्दौला का बेटा बहुत बीमार पड़ा. तमाम-हकीम वैद्यों ने हाथ खड़े कर दिए थे. नवाब के मंत्रियों ने बाबा अभयराम दास से मिन्नतें कर उन्हें शहजादे को देखने के लिए मना लिया. बाबा ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी का चरणामृत शहजादे के ऊपर छिड़क दिया, जिससे कुछ दिन में शहजादा ठीक हो गया. इस पर नवाब ने खुश होकर उनसे कुछ मांगने को कहा. बाबा ने कहा कि हमने नहीं हनुमानजी ने जान बचाई है. इच्छा हो तो हनुमानजी का मंदिर बनवा दें. फिर क्या था, नवाब ने 5 एकड़ जमीन पर मंदिर का निर्माण करवाने की पहल की.
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यहां राजा हैं बजरंगबली
अवध के नवाबों ने हनुमानगढ़ी के मंदिर के निर्माण में सहयोग किया और अब यह परिसर 52 बीघा के इलाके में फैला है. भगवान राम जब लंका से जीतकर अयोध्या आए तो हनुमानजी भी उनके साथ आए और यहां के किले में रहकर अयोध्या की सुरक्षा करते रहे. राम जब परमधाम जाने लगे तो हनुमानजी को अयोध्या का राजा बना गए, इसलिए हनुमानजी यहां अयोध्या के राजा की हैसियत से विराजमान है, जबकि बाकी जगह वे राम के सेवक है. यही वजह है कि अयोध्या में भगवान राम के दर्शन से पहले हनुमानजी के दर्शन करने की परंपरा है.