Apple iPhone भारत में इतने महंगे क्यों बिकते हैं? यहां समझें पूरा मैथ्स

Why Apple iPhones Are Expensive in India? आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में आईफोन की कीमत लगभग सभी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. सवाल यह उठता है कि iPhone भारत में इतने महंगे क्यों होते हैं? भारत और अन्य देशों के बीच कीमत का अंतर काफी अधिक है.

By Rajeev Kumar | September 17, 2023 7:45 PM
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Apple iPhone यूजर्स के बीच अपने हैंडसेट को अपग्रेड करने का जबरदस्त क्रेज होता है. हर साल आनेवाले आईफोन के नये मॉडल्स के साथ खुद को अपडेट करने में यूजर्स का अच्छा-खासा पैसा भी खर्च हो जाता है. सोशल मीडिया में ऐसे मीम्स भी चलते हैं कि किसी शख्स ने आईफोन लेने के लिए किडनी बेच दी.

iPhone 15 Pro के बेस वेरिएंट 128GB की कीमत 1,34,900 रुपये से शुरू होती है. इसके अलावा, iPhone 15 Pro के 256GB वेरिएंट की कीमत 1,44,900 रुपये, iPhone 15 Pro 512GB की कीमत 1,64,900 रुपये रखी गई है. वहीं, iPhone 15 Pro के 1TB की कीमत 1,84,900 रुपये है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में आईफोन की कीमत लगभग सभी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

iPhone 15 Pro Max की कीमत के बारे में बात करें कि इसका 256GB वाला शुरुआती वेरिएंट 1,59,900 रुपये की शुरुआती कीमत पर खरीदा जा सकता है. iPhone 15 Pro Max के 512GB वेरिएंट की कीमत 1,79,900 रुपये और iPhone 15 Pro Max 1TB की कीमत 1,99,900 रखी गई है. इस तरह आईफोन 15 प्रो मैक्स का 1टीबी स्टोरेज कंपनी का सबसे महंगा मॉडल है.

सवाल यह उठता है कि iPhone भारत में इतने महंगे क्यों होते हैं? भारत और अन्य देशों के बीच कीमत का अंतर काफी अधिक है. जैसे 2020 में, भारत में iPhone 12 मिनी की शुरुआती कीमत 69,900 रुपये थी. वहीं, अमेरिका में उसी डिवाइस की कीमत 699 डॉलर थी. उस समय के एक्सचेंज रेट के हिसाब से यह रकम 51,280 रुपये होती है. इस तरह यह अंतर 18,620 रुपये (लगभग 37%) का है.

iPhone के भारत में महंगे होने की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले PCBA (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली) पर भारत में लगने वाली 20 प्रतिशत Import Duty है. इसी तरह, iPhone चार्जर पर भी 20 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता है. आयात शुल्क के अलावा, भारत में Apple प्रॉडक्ट्स पर 18% की GST भी लगती है. यह सभी स्मार्टफोन्स पर लगता है.

इन सभी बातों के अलावा, Apple अब भी भारत में अपने स्मार्टफोन और बाकी प्रॉडक्ट्स बेचने के लिए थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरर्स के नेटवर्क्स पर निर्भर रहता है. इसमें विक्रेता, वितरक, परिवहन एजेंट और अन्य बिचौलिए भारी कमीशन जोड़ते हैं और इन सबको मिलाकर अंतिम उपभोक्ता के लिए प्रॉडक्ट की कीमत बढ़ जाती है. यानी आईफोन महंगा हो जाता है.

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