कुछ यूं लगा रहे चुनाव से ड्यूटी कटवाने के गुहार
एक सरकारी कर्मी कहते हैं कि पत्नी की कई दिनों से तबीयत खराब है और अस्पताल में भर्ती है. कोई उसकी देखभाल करने वाला भी नहीं है. अस्पताल में किसी न किसी को रहना जरूरी है. इसलिए चुनाव ड्यूटी से मुक्त किए जाने की प्रार्थना की है. वही, एक महिला कर्मी बताती है कि पति शहर से बाहर रहते हैं. आठ महीने का बेटा है. ऐसे में कैसे चुनाव ड्यूटी कर सकते हैं. उन्होंने जिलाधिकारी से मानवता दिखाते हुए ड्यूटी काटने की प्रार्थना की है. इस तरह के कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे. किसी का कहना है कि उनकी खुद की तबीयत सही नहीं है, तो कोई घर में शादी का हवाला देकर ड्यूटी काटने की गुहार लगा रहा है. चुनाव से ड्यूटी कटवाने को लेकर ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं.
चुनाव को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू
कंट्रोल रूम और चुनाव कार्य में जुटे अधिकारियों के बने शिविरों में चुनाव ड्यूटी कटवाने को मतदान कर्मियों को ऐसे बहाने करते हुए देखा जा सकता है. हालांकि चुनाव को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो चुका है. 11 मई को नगर निकाय के चुनाव होने हैं. मतदान कर्मी कलेक्ट्रेट में अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि कुछ की समस्याएं वास्तविक होती है. वहीं चुनाव ड्यूटी हटाने को लेकर जिला प्रशासन भी गंभीर रहता है. कर्मचारी मतदान ड्यूटी से खुद को बाहर रखने को खूब जुगत भिड़ाते देखे जा सकते हैं. वही अधिकारी भी चुनाव में ड्यूटी काटने को लेकर सख्ती दिखा रहे हैं.
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