क्यों जरूरी है नेचर कंजर्वेशन
मानवीय गतिविधियों का प्रकृति, वनस्पति और अन्य संसाधनों पर लगातार विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता तेजी से बढ़ी है, लेकिन सकारात्मक कदमों के परिणाम दिखने में अभी भी काफी समय बाकी है. असामान्य मौसम पैटर्न, धरती के बढ़ते तापमान और जैव विविधता को लगातार हो रहे नुकसान के चलते नेचर कंजर्वेशनिस्ट की मांग बढ़ रही है.
क्या करते हैं नेचर कंजर्वेशनिस्ट
एक नेचर कंजर्वेशनिस्ट यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करता है कि प्रत्येक प्रजाति को पर्याप्त आवास मिले. वे पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए अनुसंधान करते हैं और योजनाएं विकसित कर उन्हें क्रियान्वित करते हैं. कंजर्वेशनिस्ट को अक्सर प्रतिकूल परिस्थियों में काम करना पड़ता है. नेचर कंजर्वेशनिस्ट हो या वाइल्डलाइफ या फिर एनवायर्नमेंटल कंजर्वेशनिस्ट, ये प्रशिक्षित वैज्ञानिक होते हैं. ये फील्ड से डेटा एकत्र कर उसका विश्लेषण करते हैं और दुनिया को उसके निहितार्थ के बारे में सूचित करते हैं.
विषय, जिनकी करनी हाेगी पढ़ाई
नेचर कंजर्वेशनिस्ट बनने के लिए बारहवीं की पढ़ाई फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से होनी चाहिए. बायोलॉजी, इकोलॉजी, एनवायर्नमेंटल साइंस/ इंजीनियरिंग, फॉरेस्ट्री, एग्रीकल्चर में बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद आप नेचर कंजर्वेशन से संबंधित विषय में मास्टर्स एवं फिर पीएचडी कर सकते हैं. इस क्षेत्र से संबंधित कुछ अन्य कोर्स हैं-वाइल्ड लाइफ, इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन, बायोडाइवर्सिटी स्टडीज एवं मैनेजमेंट, वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एक्शन, वाइल्डलाइफ बायोलॉजी, जूलॉजी में एमएससी, सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन इंजीनियरिंग में एमइ, एनवायर्नमेंटल एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट, ग्राउंड वाटर एक्सप्लोरेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, वाइल्डलाइफ, कंजर्वेशन बायोलॉजी, एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी, इरिगेशन एंड वाटर मैनेजमेंट, सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन, एनवायर्नमेंटल साइंस में
पीएचडी आदि.
इन विषयों के साथ बढ़ें आगे
कंजर्वेशन बायोलॉजी : इसमें प्रकृति, जैव विविधता, वन्य प्रजातियों की सुरक्षा, आवास, पारिस्थितिकी तंत्र और उनकी विलुप्ति को रोकने के तरीकों का अध्ययन किया जाता है.
नेचुरल रिसोर्स कंजर्वेशन : हमारे प्राकृतिक संसाधन बहुत तेजी से कम हो रहे हैं, इसलिए हमारे पास जो भी संसाधन बचे हैं उन्हें सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है. ईंधन और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत का संरक्षण इस दिशा में कुछ कदम हैं.
वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन : वन्यजीव संरक्षण के तहत विभिन्न विषय, जैसे वन्यजीव प्रबंधन, लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण, तटीय और समुद्री प्रबंधन, जलक्षेत्र प्रबंधन और जंगल प्रबंधन शामिल हैं.
सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन : इसमें जल संसाधनों के प्रबंधन और उन तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिनका उपयोग मिट्टी और पानी के संरक्षण के लिए होता है. इसमें वर्षा जल संचयन और बंजर भूमि को पुनः प्राप्त करने जैसे संरक्षण के तरीकों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है.
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