महाराष्ट्र: ‘विश्वास प्रस्ताव’ पर अविश्वास

समर खडस ... वरिष्ठ पत्रकार महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्यमंत्री फड़नवीस की सरकार ने बहुमत हंगामे के बीच हासिल किया. विधानसभा अध्यक्ष के विपक्ष की मत विभाजन की मांग को स्वीकार न करने और ध्वनिमत से बहुमत साबित मान लेने को लेकर शिवसेना और कांग्रेस आक्रामक हैं. बीजेपी सरकार इस रणनीति के सहारे कितने समय तक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2014 10:12 AM

समर खडस

वरिष्ठ पत्रकार

महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्यमंत्री फड़नवीस की सरकार ने बहुमत हंगामे के बीच हासिल किया.

विधानसभा अध्यक्ष के विपक्ष की मत विभाजन की मांग को स्वीकार न करने और ध्वनिमत से बहुमत साबित मान लेने को लेकर शिवसेना और कांग्रेस आक्रामक हैं.

बीजेपी सरकार इस रणनीति के सहारे कितने समय तक चल सकती है?

वरिष्ठ पत्रकार समर खड़स का विश्लेषण

दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में सिर्फ़ ध्वनिमत से आप बहुमत सिद्ध नहीं कर सकते. जब विपक्ष के नेता ने मत विभाजन की मांग की, तो यह होना चाहिए.

बीजेपी के पास सिर्फ़ 122 विधायक हैं और किसी भी पार्टी ने- न छोटी, न बड़ी- उन्हें समर्थन का पत्र नहीं दिया है. ऐसे में उन्हें बहुमत सिद्ध करना चाहिए था.

सदन की कार्यवाही के नियम 23 और 24 के अनुसार मांग के मुताबिक मत विभाजन करवाना विधानसभा अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी थी, जिसे उन्होंने पूरा नहीं किया. ऐसे में इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

शिवसेना और कांग्रेस इसे लेकर बेहद आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने गवर्नर की गाड़ी को भी रोका और उन्हें विधानसभा में जाने से रोकने के लिए रास्ते पर लेट गए, जिसके बाद मार्शल बुलाने पड़े.

कांग्रेस सामान्यतः आक्रामक नहीं होती थी लेकिन इस बार कांग्रेस के दोनों सदनों के विधायक काफ़ी आक्रामक नज़र आए. महाराष्ट्र विधानसभा के नागपुर सत्र में इसके बढ़ने के ही आसार हैं.

शिवसेना के 63 में से 40 विधायक पहली बार चुनाव जीते हैं.

बीजेपी इस तरह की बातें फैला रही थी कि शिवसेना के काफ़ी विधायक उनके संपर्क में हैं.

शिवसेना को डर है कि बीजेपी उसके कुछ विधायकों को तोड़ सकती है, इसलिए उसने विधान सभा अध्यक्ष के चुनाव से आखिरी समय उम्मीदवारी वापिस ले ली.

बीजेपी से लिए यह आसान नहीं होगा कि किसी विधायक को तोड़े और उसे फिर चुनाव जितवाकर सदन में लाए. इसलिए किसी विधायक के टूटने की संभावना लगती तो नहीं हैं.

लेकिन सत्ता में इतने प्रलोभन दिए जा सकते हैं कि उसमें एक-दो विधायक टूट भी सकते हैं. इसलिए शिवसेना बीजेपी को सावधान कर रही है और कह रही है कि उसका कोई विधायक टूटने वाला नहीं है.

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