विश्लेषण: राज्य के यादव मतदाताओं को रिझाने में जुटी है भाजपा, भाजपा कहीं बिखेर न दे लालू का वोट बैंक

पटना: लालू कुनबे पर कानूनी संकट के बादल छाने के बाद भाजपा प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक यादव वोटरों के रिझाने में लग गयी है. लालू प्रसाद के सामने सबसे बड़ा संकट अपने साथ यादव मतदाता को बनाये रखने का है. यादव मतदाताओं के छिटकने से माय (मुसलिम-यादव) समीकरण में भी दरार को रोक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2017 7:52 AM
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वर्तमान राजद के अस्सी विधायकों में से एक चौथाई से अधिक इसी बिरादरी के विधायक हैं. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुटी भाजपा की नजर प्रदेश के 14 प्रतिशत यादव मतदाताओं पर टिकी है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे लालू प्रसाद के परिवार पर कानूनी संकट बढ़ता जायेगा, भाजपा यादव मतदाताओं की गोलबंदी अपने पक्ष में करना चाहेगी. वैसे तो पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही इसका ट्रेलर दिखाया था. रामकृपाल यादव को राजद से खींच उन्हें लालू प्रसाद की पुत्री मीसा भारती के खिलाफ यादव बहुल सीट से ही चुनाव लड़वाया गया.

चुनाव जीतने के बाद उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जाना और अब प्रदेश भाजपा की कमान यादव नेता नित्यानंद राय को सौंपना भाजपा की चुनावी रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है. जनसंघ के जमाने में भी खास-खास इलाकों में यादव मतदाताओं के बीच पैठ की पार्टी की कोशिश रही है.भाजपा के रणनीतिकारों का दावा है कि जिस प्रकार सत्ता में आने के बाद लालू प्रसाद यादवों के एकमात्र नेता बन गये और शेरे बिहार कहे जाने वाले रामलखन सिंह यादव की बादशाहत छिन गयी, उसी प्रकार लालू प्रसाद के बाद तेजस्वी यादव और मीसा भारती पर कानूनी शिकंजा कसने के बाद यादवों का बड़ा तबका भाजपा की ओर रुख कर सकता है. हाल के दिनों में अच्छी तादाद में यादव युवा भाजपा में शामिल हुए हैं.

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