रांची : 950 करोड़ रुपये के चर्चित चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद को सीबीआइ की विशेष अदालत से दूसरी बार सजा सुनायी गयी. पहली बार चाईबासा कोषागार से 371 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी मामले में इन्हें तीन अक्तूबर 2013 को पांच साल की सजा सुनायी गयी थी. साथ में 25 लाख रुपये आर्थिक दंड भी लगा था. इसके बाद चुनाव आयोग के निर्देश पर लोकसभा की सदस्यता चली गयी थी. लालू प्रसाद देश के पहले ऐसे सांसद रहे, जिनकी सदस्यता सजा सुनाये जाने के बाद गयी. साथ ही 11 साल तक इनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गयी. इनके बाद दूसरे नंबर पर रहे जदयू के तत्कालीन सांसद जगदीश शर्मा. इनकी भी सदस्यता खत्म कर दी गयी थी. इस मामले में लालू करीब 70 दिन बिरसा केंद्रीय कारा, होटवार में रहे थे.
अधिकारियों पर लगा ज्यादा जुर्माना
पशुपालन एवं कोषागार के अधिकारियों में सर्वाधिक सजा पशुपालन अधिकारी डॉ बीएन शर्मा को सुनायी गयी थी. इन्हें पांच वर्ष सश्रम कारावास और डेढ़ करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. तत्कालीन सहायक कुक्कुट पदाधिकारी डॉ मुकेश प्रसाद वर्मा को चार वर्ष की कैद और 15 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया था. तत्कालीन पशु चिकित्सक गया प्रसाद त्रिपाठी को पांच वर्ष की कैद और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माना, तत्कालीन सहायक कुक्कुट अधिकारी डॉ अर्जुन शर्मा को पांच वर्ष कैद और डेढ़ करोड़ जुर्माना, तत्कालीन सहायक निदेशक (योजना) डाॅ केएम प्रसाद को पांच वर्ष कैद और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माना, तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक डॉ के एन झा को पांच वर्ष कैद और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माना, तत्कालीन बजट अधिकारी बीबी प्रसाद को पांच वर्ष कैद और डेढ़ करोड़ रुपये जुर्माना, तत्कालीन सहायक पशु अधिकारी डॉ गौरीशंकर प्रसाद को चार वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना, तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी सिलास तिर्की को पांच वर्ष कैद और 20 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी थी.
संबंधित खबर
और खबरें