अमेरिकी तेवर : वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर

कमर आगा , अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार... जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तब से ही विश्व भर में कुछ-न-कुछ उथल-पुथल चल ही रहा है. अमेरिका दुनिया पर फिर से अपनी प्रधानता स्थापित करना चाहता है, क्योंकि उसे एक खतरा लग रहा है कि आनेवाले वक्त में एशिया में कई देश बहुत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2019 9:29 AM
an image

कमर आगा , अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार

तेल के वैश्विक कारोबार में ईरान बहुत ही महत्वपूर्ण देश है. साथ ही ईरान पश्चिम एशिया में एक बड़ी ताकत है, जो हमेशा अमेरिका के सामने तनकर खड़ा रहता है. हालांकि, पिछले कुछ समय से ईरान का अपने तेल के ऊपर जो पूरा नियंत्रण था, वह अब कम हो रहा है. सीरिया और इराक के हालात से ईरान पर भी प्रभाव पड़ता है और लेबनान अपनी कोशिशों के बावजूद अमेरिका के सहयोग से सरकार नहीं बना पा रहा है. यमन में कई साल से युद्ध चल रहा है. उस पूरे क्षेत्र में करीब तीन दर्जन देश हैं, जहां तेल का भंडार है. खासतौर पर यमन, ईरान, इराक, सीरिया, लेबनान आदि अगर अमेरिका की गिरफ्त में नहीं होते हैं, तो अमेरिका का मध्य-पूर्व में एकाधिकार खतरे में पड़ जाता है. यही वजह है कि अमेरिका इन क्षेत्रों में सक्रिय रहता है. वह चाहता है कि तेल का उत्पादन और वितरण दोनों चीजें अमेरिकी कंपनियाें के पास रहे. यह तभी संभव हो पायेगा, जब ईरान भी बाकी देशों की तरह अमेरिका का पिछलग्गू बन जाये. और ईरान ऐसा कभी कर ही नहीं सकता, इसलिए उसके साथ अमेरिका प्रतिबंधों का खेल रच रहा है. अमेरिका के पास ईरान पर प्रतिबंधों की एक लंबी लिस्ट है और ईरान कभी नहीं चाहेगा कि उसके यहां इस तरह हर चीज पर कोई प्रतिबंध लगाये. ऐसे में इस मसले के इतनी जल्दी हल होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

चीन के सामान अमेरिका में सस्ते बिकते हैं. अगर उन सामानों पर टैरिफ यानी आयात शुल्क लगा दिया जाये, तो वे सामान महंगे हो जायेंगे. अमेरिका यही चाहता है, क्योंकि ट्रंप की नीति यह है कि अमेरिका फिर से ग्लोबल प्रोडक्शन हब बन जाये, जैसा कि पहले था. चीन इस वक्त दुनिया में सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब है. अमेरिका चाहता है कि उसकी कंपनियां कहीं और न जाकर वहीं मैन्युफैक्चरिंग करें. ऐसा होगा, तो उससे बने सामानों की कीमत ज्यादा होगी, क्योंकि अमेरिका में श्रम महंगा है. इसलिए अमेरिका टैरिफ बढ़ाकर चीनी सामानों की कीमत महंगा करना चाहता है, ताकि अमेरिकी और चीनी सामानों की कीमत एक हो जाये और अमेरिकी अपने यहां बने सामान खरीदें. ट्रंप चाहते हैं कि अपनी इस नीति से वह चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दें. इसलिए अमेरिका और चीन के बीच एक ट्रेड वार चल रहा है.

भारत अपनी अच्छी रणनीति के चलते अमेरिका, चीन और ईरान या फिर अन्य देशों के बीच की खींचतान में फंसने से बचता रहा है. लेकिन, अगर यह खींचतान यों ही चलती रही, तो निश्चित रूप से भारत पर इसका असर हो सकता है और ट्रेड वार का यह असर सिर्फ भारत पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा. इस वक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत पतली हुई पड़ी है, इसलिए इस ट्रेड वार से खुद अमेरिका को भी नुकसान होगा, लेकिन ट्रंप की हेठी है कि यह खींचतान चल रही है. अमेरिका के लिए यह सोचना आसान है कि वहां फिर से पहले जैसा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वापस बहाल हो जाये, लेकिन यह बहुत मुश्किल है, क्योंकि वहां श्रम और उत्पादन लागत बहुत महंगा है.

अमेरिका को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने में बहुत लंबा समय लगेगा. इन सबके बीच अगर ईरान-अमेरिका तनाव या फिर चीन-अमेरिका तनाव इसी तरह बढ़ता रहा, तो इन सारे देशों की अर्थव्यवस्थाएं नीचे चली जायेंगी. जाहिर है, तब वैश्विक अर्थव्यवस्था और भी मुश्किल में आ जायेगी.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version