नयी लिपि नहीं, साहित्य सृजन में ऊर्जा लगाएं

गुंजल इकिर मुंडा... आम बोलचाल में हममें से अधिकतर लोग भाषा और लिपि को एक ही मान लेते है, जबकि वास्तविकता यह नहीं है. मौखिक भाषा, जिसे हम आमतौर से ‘भाषा’ बोलते हैं, अपनी सोच एवं भावनाओं को बोल-सुन कर एक-दूसरे तक पहुंचाने का माध्यम है, जबकि लिपि आड़ी-तिरछी रेखाओं का व्यवस्थित एवं पूर्व निर्धारित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2020 4:18 AM
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गुंजल इकिर मुंडा

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