मां, मुझे काशी अच्छा लगता था, तुम ब्रज की राह पकड़ा दी…

होली समाज के सभी भेद को एक झटके में मिटा देता है, तभी तो इसे उल्लास और प्रेम का उत्सव कहा गया है. होली उनलोगों को वापस अपने गांव-कस्बे में खींच लाता है, जो अपनी जड़ों से बार-बार जुड़ना चाहते हैं. पढ़िए, वरिष्ठ पत्रकार निराला की यह रचना, जिसमें उन्होंने मां को लिखे पत्र के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2016 8:27 AM
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