।।अनुज कुमार सिन्हा ।।
10 अप्रैल का अखबार आपने पढ़ा होगा. एक खबर है-रांची में सड़क हादसे में तीन स्कूली छात्रों की मौत. दूसरी खबर है-टैंकर ने धक्का मारा, बैंक मैनेजर की मौत. ऐसी खबरें हर दो-चार दिनों पर अखबारों में दिख रही हैं. ये खबरें बेचैन करने वाली हैं. तीन स्कूली छात्र बाइक लेकर निकलते हैं, किसी के सिर पर हेलमेट नहीं, रफ्तार तेज, डिवाइडर से टक्कर और तीनों की जान चली जाती है. ये सिर्फ तीन छात्रों की मौत नहीं है. देश के तीन होनहारों की भी मौत है, भविष्य की मौत. परिवार, मां-बाप की पीड़ा की कल्पना भी असंभव है. सवाल-काश ये बच्चे हेलमेट पहने होते तो शायद ये बच जाते. इनकी जिंदगी बच जाती. कौन है इन बच्चों की मौत या सड़क दुर्घटना में हो रही ऐेसी मौतों का का जिम्मेवार? बहस का विषय यही है. दोषारोपण का वक्त नहीं. समाधान सोचिए. जीवन बचाने का रास्ता-उपाय तलाशिए. अगर थोड़ी सतर्कता बरती जाये तो इससे बचा जा सकता है.
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