अमेरिका ने ईरान के किस एयरबेस को किया टारगेट? B-2 बॉम्बर्स ने कितनी मचाई तबाही

America Attack Iran Nuclear Site: 21 जून की रात को अमेरिका ने ईरान के खिलाफ एक बड़ी सैन्य कार्रवाई की. जिसे ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया. इस ऑपरेशन का उद्देश्य ईरान की तीन प्रमुख और संवेदनशील न्यूक्लियर साइट्स फोर्दो, इस्फहान और नतांज को निष्क्रिय करना था.

By Ayush Raj Dwivedi | June 23, 2025 8:58 AM
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America Attack Iran Nuclear Site: अमेरिका ने ईरान के खिलाफ एक बड़ा सैन्य ऑपरेशन चलाते हुए उसकी तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स फोर्दो, इस्फहान और नतांज को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है. इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया, जिसे अंजाम देने के लिए अमेरिका ने 125 से अधिक लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया, जिनमें सबसे अहम भूमिका B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स की रही.

37 घंटे लंबा ऑपरेशन, हवा में ही किया गया रिफ्यूलिंग

यह ऑपरेशन 21 जून की रात अमेरिका के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से शुरू हुआ. B-2 बॉम्बर्स ने उड़ान भरते वक्त पूरा फ्यूल और हथियार लोड किया हुआ था, लेकिन लंबी दूरी तय करने के लिए इन्हें हवा में ही रिफ्यूलिंग की गई. CENTCOM के सपोर्ट के साथ बॉम्बर्स ने शाम 6 बजे ईरानी एयरस्पेस में प्रवेश किया और 6:40 बजे से 7 बजे के बीच ईरान की तीनों साइट्स पर GBU-57 बम गिराए.

GBU-57 बम का पहला ऑपरेशनल इस्तेमाल

अमेरिका ने इस ऑपरेशन में 30,000 पाउंड वजनी GBU-57 “Massive Ordnance Penetrator” बमों का इस्तेमाल किया, जिन्हें गहराई में बने लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. अमेरिकी ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष डैन कैन ने बताया कि यह इन बमों का पहला सफल ऑपरेशनल उपयोग था. ऑपरेशन में कुल 75 सटीक-निर्देशित हथियारों का प्रयोग हुआ.

फोर्दो साइट पर सबसे बड़ा हमला

ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट, जो 80 से 100 मीटर गहरी पहाड़ियों में स्थित है, उस पर अमेरिका ने 6 बम गिराए. हमले के बाद यहां गहरे होल और विनाश के निशान देखे गए हैं. शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, सभी तीनों साइट्स पर गंभीर क्षति हुई है और ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई वर्षों पीछे चला गया है.

22 जून को मिशन सफलतापूर्वक पूरा

हमले के बाद अमेरिकी विमानों ने ईरानी एयरस्पेस से शाम 7:30 बजे बाहर निकलकर वापसी की यात्रा शुरू की. रास्ते में एक बार फिर B-2 बॉम्बर्स को हवा में रिफ्यूल किया गया और 22 जून को ये विमान सुरक्षित अपने एयरबेस लौट आए.

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